१८- सखी बसंत आया : मानसी
सखी बसंत आया
कोयल की कूक तान
व्याकुल से हुए प्राण
बैरन भई नींद आज
साजन संग भाया
सखी बसंत आया
लागी प्रीत अंग-अंग
टेसू फूले लाल रंग
बिखरी महुआ की गंध
हवा में मद छाया
सखी बसंत आया
पाँव थिरके देह डोले
सरसों की बाली झूमे
धवल धूप आज छिटके
जगत सोन नहाया
सखी बसंत आया
अमुवा की डारी डारी
पवन संग खेल हारी
उड़े गुलाल रंग मारी
सुख आनंद लाया
सखी बसंत आया
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मानसी
बहुत अच्छी कोशिश है!
जवाब देंहटाएंकोयल की कूक तान
जवाब देंहटाएंव्याकुल से हुए प्राण
बैरन भई नींद आज
हवा में मद छाया
सखी बसंत आया
बासंती अनुराग का मधुर-मदिर गीत. मन भाया.
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जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंविमल कुमार हेडा
मानसी के मनस में
जवाब देंहटाएंडेरा जमाया...
शब्द काम्या कामिनी ने
अर्थ शाश्वत कंत पाया.
बाग़ में भाषा के
बनकर छंद खुद ऋतुराज आया.
मानसी के मनस में
डेरा जमाया...
पाँव थिरके देह डोले
जवाब देंहटाएंसरसों की बाली झूमे
धवल धूप आज छिटके
जगत सोन नहाया
सखी बसंत आया
अमुवा की डारी डारी
पवन संग खेल हारी
उड़े गुलाल रंग मारी
सुख आनंद लाया
सखी बसंत आया
khulke rang udele koee
prem pacheesee khe koee
tera roop salona saajan
mere man pe chhaayaa
sakhee vasant aayaa
badheeho is prernaapoorn anubhuti ke lie
पलाश की रक्तिमा
जवाब देंहटाएंटेसू के पीले फूल
भिगोया बनाया
बासंती रंग
खेलो होली संग
हवा में मद छाया
सखी बसंत आया
achha likh hai
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
सभी का बहुत बहुत शुक्रिया, इस गीत को पसंद करने का।
जवाब देंहटाएं--मानोशी
अमुवा की डारी डारी
जवाब देंहटाएंपवन संग खेल हारी
उड़े गुलाल रंग मारी
सुख आनंद लाया
सखी बसंत आया
sundar bhaav....
aabhar...maansee jee....badhaaee....
रचना पूर्ण तरह से बसंत वर्णन कर रही है |
जवाब देंहटाएंइस गीत के लिए बधाई |
अवनीश
वासंती रंग में रंगी मधुर रचना के लिये बधाई एवं धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंशशि पाधा