tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post1220044396359752607..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २१. क्यों हमने घर छोड़ा थानवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-92099228697854546192012-10-20T14:57:01.502+04:002012-10-20T14:57:01.502+04:00रचना जी के पास बेहद मार्मिक और मासूम से भावों को ...रचना जी के पास बेहद मार्मिक और मासूम से भावों को अनुरंजित करने वाली भाषा है । भाव और भाषा दोनों का समन्वय इस गीत को नई ऊंचाई प्रदान करता है ।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-79535356858787828982012-10-05T19:53:39.486+04:002012-10-05T19:53:39.486+04:00सुख चादर
में छेद मिले
लहरों लहरों भेद मिले
जेब ...सुख चादर <br />में छेद मिले <br />लहरों लहरों भेद मिले <br />जेब भरी <br />मन खाली था <br />जीवन बना रुदाली था <br />फिर भी नाता जोड़ा था <br />क्यों हमने घर छोड़ा था ?<br />वाह! रचना, गीत की हर पंक्ति बहुत शक्ति शाली है | बधाई |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-90312760839551436882012-10-05T06:32:19.694+04:002012-10-05T06:32:19.694+04:00bahut sundar navgeet hai badhai
bahut sundar navgeet hai badhai <br />कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवानhttps://www.blogger.com/profile/15885065966350572216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-8380412784904875802012-10-04T22:01:15.488+04:002012-10-04T22:01:15.488+04:00गीत पसंद किया और अपने शब्दों से मुझे आशीष दिया मै...गीत पसंद किया और अपने शब्दों से मुझे आशीष दिया मै बहुत बहुत आभारी हूँ<br />बहुत बहुत धन्यवाद<br />रचना Rachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-9337362486100326522012-10-04T21:59:28.931+04:002012-10-04T21:59:28.931+04:00गीत पसंद किया और अपने शब्दों से मुझे आशीष दिया मै...गीत पसंद किया और अपने शब्दों से मुझे आशीष दिया मै बहुत बहुत आभारी हूँ<br />बहुत बहुत धन्यवाद<br />रचना Rachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-7543157556645061122012-10-03T06:50:50.335+04:002012-10-03T06:50:50.335+04:00मन पीड़ा से भर गया..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति रचना जी...मन पीड़ा से भर गया..<br />बहुत सुंदर अभिव्यक्ति रचना जी.. <br /><br />बधाई ..गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-71208328573587989042012-10-02T17:42:21.385+04:002012-10-02T17:42:21.385+04:00अच्छा नवगीत,रचना जी को बधाई।अच्छा नवगीत,रचना जी को बधाई।उत्तम द्विवेदीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-27574714821632331542012-10-02T12:11:26.314+04:002012-10-02T12:11:26.314+04:00खेद की भावना का सुंदर चित्रण. रचना श्रीवास्तव जी क...खेद की भावना का सुंदर चित्रण. रचना श्रीवास्तव जी को बधाई। <br />परन्तु बादलों की गोद से निकली बूँद की तरह दूसरा पक्ष भी तो सम्भव है.<br />कि...<br />"आह क्यों घर छोड़ कर मैं यूँ कढ़ी"<br />किन्तु ...<br />"एक सुंदर सीप का मुख था खुला,<br />वह उसमें जा पड़ी मोती बनी.<br />लोग यों ही हैं झिझकते, सोचते,<br />जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर,<br />किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें,<br />बूँद लौं कुछ और ही देता है कर.sharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-59713420714475721582012-10-02T07:26:46.662+04:002012-10-02T07:26:46.662+04:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Kumar Ravindrahttps://www.blogger.com/profile/11831047873400154921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-28220310172172542012012-10-02T07:25:15.371+04:002012-10-02T07:25:15.371+04:00अपने घर-माहौल से अलग होकर जीने को अभिशप्त प्रवासी ...अपने घर-माहौल से अलग होकर जीने को अभिशप्त प्रवासी मन से उपजे इस गीत की अंतर्धारा एक गहरे अवसाद से मुझे भिगो गई| वस्तुतः हम सभी आज के तथाकथित आधुनिक होते परिवेश में प्रवासी होने की व्यथा को झेल रहे हैं| घर घर नहीं रह गये हैं - वे तो डेरे या रैन-बसेरे हो गये हैं| मन को गहरे स्पर्श करते इस श्रेष्ठ गीत हेतु सुश्री रचना श्रीवास्तव को मेरा हार्दिक साधुवाद! Kumar Ravindrahttps://www.blogger.com/profile/11831047873400154921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-22125513950933264962012-10-02T06:05:40.161+04:002012-10-02T06:05:40.161+04:00वाह रचना जी...बहुत सुंदर वाह रचना जी...बहुत सुंदर Dr.Anita Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/03776096643896372764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-10176379889519527362012-10-01T19:28:12.865+04:002012-10-01T19:28:12.865+04:00सुन्दर नवगीत के लिए रचना जी को बधाई.सुन्दर नवगीत के लिए रचना जी को बधाई.परमेश्वर फुंकवालnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-54639432056251959282012-10-01T18:33:30.787+04:002012-10-01T18:33:30.787+04:00amma ka pankha jhalta hua boodha haath aankhon ke ...amma ka pankha jhalta hua boodha haath aankhon ke aage ek chehra aank gaya ! bahut see badhaiyan ! aise hee likhtee raho !!!!!!!!!!!!!!<br />Prateekhttps://www.blogger.com/profile/05061578630843501916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-90292147356919187272012-10-01T16:28:11.691+04:002012-10-01T16:28:11.691+04:00शाम ,
सिंदूरी धूप से
आकर घर रंग जाये
इस दृश्य स...शाम , <br />सिंदूरी धूप से <br />आकर घर रंग जाये <br />इस दृश्य से मुँह मोड़ा था <br />क्यों हमने घर छोड़ा था ?<br />बहुत सुन्दर गीत है .......ह्रदय को छूता हुआ .....बधाई रचना <br />जी को संध्या सिंहhttps://www.blogger.com/profile/11549759811338829461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-615296693877192222012-10-01T16:05:33.506+04:002012-10-01T16:05:33.506+04:00अत्यंत मार्मिक प्रस्तुति रचनाजी ,हार्दिक बधाई।अत्यंत मार्मिक प्रस्तुति रचनाजी ,हार्दिक बधाई।mandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-59366198112900343562012-10-01T16:02:08.207+04:002012-10-01T16:02:08.207+04:00अत्यंत मार्मिक प्रस्तुति रचनाजी सतशः बधाई। अत्यंत मार्मिक प्रस्तुति रचनाजी सतशः बधाई। mandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-53391601669295113892012-10-01T15:01:29.330+04:002012-10-01T15:01:29.330+04:00रचना जी को इस सुंदर नवगीत के लिए साधुवादरचना जी को इस सुंदर नवगीत के लिए साधुवाद‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-83069957224942624582012-10-01T12:52:39.253+04:002012-10-01T12:52:39.253+04:00आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २/१०/१२ मंगलव...आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २/१०/१२ मंगलवार को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का स्वागत है Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-4212938637052348042012-10-01T11:47:12.332+04:002012-10-01T11:47:12.332+04:00अपनी जड़ोँ से अलग होने का दर्द समेटता हुआ नवगीत । ...अपनी जड़ोँ से अलग होने का दर्द समेटता हुआ नवगीत । <br />रचना श्रीवास्तव जी को बधाई ।surenderpal vaidyahttps://www.blogger.com/profile/03261070521163322668noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-73938883935360885902012-10-01T08:11:42.633+04:002012-10-01T08:11:42.633+04:00सावन आँगन उतरे,वसंत किवाड़ सजाये,
शाम सिंदूरी धूप आ...सावन आँगन उतरे,वसंत किवाड़ सजाये,<br />शाम सिंदूरी धूप आकर घर रंग जाये<br />इस दृश्य से मुँह मोड़ा था,<br />क्यों हमने घर छोड़ा था ?<br />अति सुन्दर, रचना जी को बहुत बहुत बधाई।<br />विमल कुमार हेड़ा।<br />विमल कुमार हेड़ा।noreply@blogger.com