tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post1277252635219183695..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ९. जिस दिन पलाश जंगल में दहकेनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-42190577343676255282011-06-13T17:21:01.510+04:002011-06-13T17:21:01.510+04:00नववर्ष हर्ष उत्कर्ष
बहारों ने नापे!
हलदी वाले हाथो...नववर्ष हर्ष उत्कर्ष<br />बहारों ने नापे!<br />हलदी वाले हाथों ने<br />दरवाजे छापे!<br /><br />जिस दिन मौसम की गायक<br />कुहु कुहु कुहुके<br />तुम आ जाना! <br /> बहुत सुंदर<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-32707472018327290732011-06-11T19:47:28.493+04:002011-06-11T19:47:28.493+04:00निर्मला जी का हर नवगीत सुंदर होता है। यह नवगीत भी ...निर्मला जी का हर नवगीत सुंदर होता है। यह नवगीत भी बहुत सुंदर है। हार्दिक बधाई।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-23215140738007290012011-06-11T11:53:28.783+04:002011-06-11T11:53:28.783+04:00नवगीत अच्छा है,
पर किसी प्रिय के आने के लिए
इतनी...<b>नवगीत अच्छा है, <br />पर किसी प्रिय के आने के लिए <br />इतनी शर्तें रख देना अच्छा नहीं लगा!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-11002315685251721322011-06-11T09:49:11.603+04:002011-06-11T09:49:11.603+04:00निर्मला जोशी जी के नवगीत '-जिस दिन पलाश जंगल म...निर्मला जोशी जी के नवगीत '-जिस दिन पलाश जंगल में दहके'की इन पंक्तियों ने विशेष् रूप से प्रभावित किया-<br />सिल पर पिसते रंगत लाते <br />गहरे होते! <br />इंद्रधनुष जैसे <br />सपनो में ठहरे होते <br />अन्तिम पंक्तियों में -किंशुक लहके में लहकना क्रिया का विशिष्ट प्रयोग नवगीत को और गहन बनाता है ।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.com