tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post2270180256704408659..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ०८. घर का कोना-कोना सिसकेनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-82240889383919449052010-09-26T15:12:23.570+04:002010-09-26T15:12:23.570+04:00नाली के गंदे पानी में
अब बूँदों का क्रंदन
घर में घ...नाली के गंदे पानी में<br />अब बूँदों का क्रंदन<br />घर में घुसकर आ जाता है<br />घर की देहरी फाँद<br />घर का कोना-कोना सिसके<br />बनकर दुख की नाँद<br />“उस अनाम रचनाकार को “ात “ात सलाम इस संुदर व सटीक अनुभूति के लिएmandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-84762961657385810602010-09-22T11:49:55.048+04:002010-09-22T11:49:55.048+04:00वर्षा जीतनी आनंददायी होती है विसंगतियों से मिलकर उ...वर्षा जीतनी आनंददायी होती है विसंगतियों से मिलकर उससे कहीं अधिक दुखदायी हो जाती है. वर्षा के इस दूसरे रूप को आप ने नवगीत के माध्यम से बहुत ही सुन्दर तरीके से व्यक्त किया है. बहुत-बहुत बधाई!उत्तम द्विवेदीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-2647611555700553702010-09-21T21:18:35.945+04:002010-09-21T21:18:35.945+04:00विसंगतियों और विडम्बनाओं को केंद्र में रखकर नवगीत ...विसंगतियों और विडम्बनाओं को केंद्र में रखकर नवगीत के प्रतिमानों पर खरी उतरती रचना मन को झकझोर रही है.दिव्य नर्मदा divya narmadahttps://www.blogger.com/profile/17701696754825195443noreply@blogger.com