tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post2305523403367434703..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ८. शहर के एकांत मेंनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-70507775423620649722011-09-17T21:01:35.327+04:002011-09-17T21:01:35.327+04:00टूट जाता है
भरोसा
टूट जाते आइने
गिनतियों के
शो...टूट जाता है <br />भरोसा <br />टूट जाते आइने <br />गिनतियों के <br />शोर में कोई <br />किसी को क्या गिने <br />धूप खुलकर <br />नहीं खिलती <br />शहर के एकांत में <br />यश जी इस नवगीत के लिए, बधाई.mandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-9398982564058517362011-08-23T21:19:49.011+04:002011-08-23T21:19:49.011+04:00रूह के संग
देह छिलती
शहर के एकांत में
शहर में ए...रूह के संग<br />देह छिलती<br />शहर के एकांत में <br /><br />शहर में एकांत बहुत सुंदर <br /><br />आपको बधाई <br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-39366414815580853242011-08-18T18:01:45.673+04:002011-08-18T18:01:45.673+04:00रूह के संग
देह छिलती
शहर के एकांत में
बहुत सुं...रूह के संग <br />देह छिलती <br />शहर के एकांत में <br /><br />बहुत सुंदर ....एक अच्छे नवगीत के लियें <br />मालवीय जी ,<br />आपको बधाई...गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-14230871549769674852011-08-18T14:03:24.510+04:002011-08-18T14:03:24.510+04:00यश जी शहर की सम्वेदना को आपने बेहतरीन ढंग से परिभा...यश जी शहर की सम्वेदना को आपने बेहतरीन ढंग से परिभाषित किया है बहुत सुंदर नवगीत नवगीत की पाठशाला और आपको बधाईजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-50247461711956432672011-08-18T11:55:54.516+04:002011-08-18T11:55:54.516+04:00रूह के संग
देह छिलती
शहर के एकांत में
कटु सत्य......रूह के संग<br />देह छिलती<br />शहर के एकांत में<br /><br />कटु सत्य... किन्तु गांव भी इससे अलग कहाँ रहे अब? राजनीति ने विष समूचे जीवन में घोल दिया है.<br /><br />यश जी बहुत प्रभावशाली नवगीत, बधाई.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-57199627768173673632011-08-17T19:37:29.718+04:002011-08-17T19:37:29.718+04:00Bahut Sundar Abhivyakti.
TRILOK SINGH THAKURELABahut Sundar Abhivyakti.<br />TRILOK SINGH THAKURELAत्रिलोक सिंह ठकुरेलाhttps://www.blogger.com/profile/05539475029770962739noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-68883523202429592552011-08-17T18:47:20.277+04:002011-08-17T18:47:20.277+04:00एक अच्छे नवगीत के लिए मालवीय जी को बधाई!एक अच्छे नवगीत के लिए मालवीय जी को बधाई!उत्तम द्विवेदीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-12774104259093060812011-08-17T10:20:41.945+04:002011-08-17T10:20:41.945+04:00अद्भुत नवगीत है ये यश मालवीय जी का। इससे हम जैसे व...अद्भुत नवगीत है ये यश मालवीय जी का। इससे हम जैसे विद्यार्थियों को सीखने के लिए वाकई बहुत कुछ मिलेगा। बहुत बहुत बधाई उन्हें उस नवगीत के लिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-79903104627949035892011-08-17T09:41:33.210+04:002011-08-17T09:41:33.210+04:00साधुवाद यश भाई को 'शहर में अकेलापन'सन्दर्भ...साधुवाद यश भाई को 'शहर में अकेलापन'सन्दर्भ के इस श्रेष्ठ नवगीत हेतु| मुझे ये पंक्तियाँ विशेष रुचीं - <br />टूट जाता है <br />भरोसा <br />टूट जाते आइने <br />गिनतियों के <br />शोर में कोई <br />किसी को क्या गिने <br />धूप खुलकर <br />नहीं खिलती <br />शहर के एकांत मेंkumar Ravindrahttp://navgeetpathshala.blogspot.comnoreply@blogger.com