tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post2666646819920721847..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: एक प्रतिक्रिया और उसका उत्तर विस्तार मेंनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-7873032010048943392015-07-27T09:13:45.397+04:002015-07-27T09:13:45.397+04:00बहुत उम्दा जानकारी पूर्णिमा जी ,इससे पहले कभी नवगी...बहुत उम्दा जानकारी पूर्णिमा जी ,इससे पहले कभी नवगीत नहीं लिखा था .अबसे जरूर लिखूंगी .सपना मांगलिक Smanglikhttps://www.blogger.com/profile/11211836463772581969noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-83106170368458276652010-03-19T22:39:32.455+04:002010-03-19T22:39:32.455+04:00नवगीत की रचना समझने के लिए
क्या इससे भी बेहतर
को...<b>नवगीत की रचना समझने के लिए <br />क्या इससे भी बेहतर <br />कोई आलेख हो सकता है?</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-29043238329787860392010-01-03T11:32:43.619+04:002010-01-03T11:32:43.619+04:00बहुत बढिया है .
धन्यवाद पूर्णिमा जी,
बहुत सिखने क...बहुत बढिया है .<br /><br />धन्यवाद पूर्णिमा जी,<br />बहुत सिखने को मिल रहा हैsharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-44306005584408204442009-08-11T10:36:12.193+04:002009-08-11T10:36:12.193+04:00अजित जी का प्रश्न जायज़ है। यहाँ एक ही पंक्ति के द...अजित जी का प्रश्न जायज़ है। यहाँ एक ही पंक्ति के दो हिससे हैं और कुल 26 मात्राएँ हैं। अगर ऐसे लिखें- <br />गीतों को दे बोल, बोल में गहरा मानी दे।<br />दरिया मे पानी, पानी को खूब रवानी दे।<br />तो ठीक मालूम होगा। प्रत्येक खंड की मात्राएँ बराबर हों वह आवश्यक नहीं है। लंबे असंतुलन नहीं होने चाहिए।<br /><br />इसी प्रकार अंतरे को भी देखें। कभी कहीं एक मात्रा का कम या ज्यादा होना मायने नहीं रखता अगर नवगीत की लय का बहाव बाधित न हो। <br />--पूर्णिमा वर्मनAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-11543792687955179632009-08-11T07:24:16.625+04:002009-08-11T07:24:16.625+04:00पूर्णिमा जी
एक प्रश्न है। आपने जो गीत सहेजकर लिख...पूर्णिमा जी<br /><br />एक प्रश्न है। आपने जो गीत सहेजकर लिखा है उसमें मात्राओं के बारे में भी मेरा कुछ भ्रम है। जैसे मुखड़े की पंक्तियां है - <br />दरिया में पानी<br /> 10<br /><br />पानी को खूब रवानी दे 16<br /><br />लेकिन प्रथम अन्तरे में देखिए -<br /><br />गीतों को दे बोल 11<br /><br />बोल में गहरा मानी दे 15<br /><br />इसी प्रकार अन्तरों में भी मात्राओं में अन्तर है। कृपया स्पष्ट करें।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-28024702696766766972009-08-10T21:43:06.273+04:002009-08-10T21:43:06.273+04:00फ़सलों को पक्कापन यों
ज्यों सिद्धि तापसी को
चौपालों...फ़सलों को पक्कापन यों<br />ज्यों सिद्धि तापसी को<br />चौपालों को न्याय कि जैसे<br />रूप आरसी को<br /><br />...मानोशी जी का ता-उम्र शुक्रगुजार रहूँगा, जिनकी बदौलत मैं इस अद्भुत पाठशाला से जुड़ पाया।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-73301596280457220542009-08-10T09:38:55.321+04:002009-08-10T09:38:55.321+04:00आनन्दानुभूति ने सरोपा ऐसा सराबोर कर दिया कि मैं उ...आनन्दानुभूति ने सरोपा ऐसा सराबोर कर दिया कि मैं उस अधकच्ची(अधपक्की नहीं ) रचना के काया-कल्प से चकित तो हूं ही, हर्षित भी हूं ।<br /> सहज-स्पर्श से जीवनदान मिलना इसी को कहते होंगे!<br /> भाव-विह्वल और आभारी हूं सदगुरु का,जिसने एक अनिर्मित रचना को थपथपाकर अभिनव आकार दे दिया,और नवगीत से वस्तुतः साक्षात्कार करा दिया।<br /> मेरा कुछ नही है उसमे अब, सब अनुभूति का है।हाँ,अकूत जानकारी को अपनी गाँठ मे बाँध लिये चलता हूं, साधिकार।<br /><br />विनत,<br />प्रवीण पंडितpraveen pandithttps://www.blogger.com/profile/04969273537472062512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-51953624185300315932009-08-09T21:46:09.809+04:002009-08-09T21:46:09.809+04:00एक दिए गए गीत के आधार पर बहस से बहुत कुछ सीखने को ...एक दिए गए गीत के आधार पर बहस से बहुत कुछ सीखने को मिला। गीत का विकास कैसे होता है। किस प्रकार मुखड़े और अंतरे की रचना होती है, किस प्रकार उसकी प्रस्तुति में रोचकता और नयापन उत्पन्न किया जाता है यह सीखने को मिला। यहाँ आना सुखद और रोचक लग रहा है।विनीता का चिट्ठाhttps://www.blogger.com/profile/10089696708728410209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-22998023399767823452009-08-09T18:24:01.347+04:002009-08-09T18:24:01.347+04:00प्रवीण जी का नवगीत ऐसा था जिसकी पांखुरियां बिखर रह...प्रवीण जी का नवगीत ऐसा था जिसकी पांखुरियां बिखर रही थी, आपने उन्हें न केवल बांध दिया अपितु उसमें महक भी भर दी। इतना सुन्दर नवगीत बन गया है। आशा है इस प्रयोग से हम सभी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपका आभार, जो हम सबके लिए इतना श्रम कर रही हैं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-75854206104732954662009-08-09T18:02:27.484+04:002009-08-09T18:02:27.484+04:00वाह आपने तो कमाल कर दिया. बहुत बढिया.वाह आपने तो कमाल कर दिया. बहुत बढिया.संजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/04495238607820943010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-23141111477763932122009-08-09T16:19:35.171+04:002009-08-09T16:19:35.171+04:00पूर्णिमा जी,
नवगीत की पाठशाला का मूल उद्देश्य ध...पूर्णिमा जी, <br /><br />नवगीत की पाठशाला का मूल उद्देश्य ध्यान में रखते हुए आपने अपने पाठकों को जो मार्ग-दर्शन दिया है, चाहे प्रवीण पंडित जी के नवगीत के माध्यम से ही, सभी के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगा, ऐसी प्रत्याशा है । किसी कृति की आलोचना से कृतिकार को लाभ ही मिलता है, ऐसा मेरा विश्वास है । <br /><br />पाठशाला अपने मार्ग पर आगे बढ़ती रहे और रचनाओं को यूं ही विस्तार मिलता रहे, यही शुभकामनाएं हैं ।RADIO SWARANGANhttps://www.blogger.com/profile/01670763314102704908noreply@blogger.com