tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post2777155357964567811..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: १- भर भुजाओं में भेंटोनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-83846275803642703702009-10-01T20:02:48.820+04:002009-10-01T20:02:48.820+04:00आचार्य जी, आपका सुन्दरता का विचार-बिन्दु गलत है, ...आचार्य जी, आपका सुन्दरता का विचार-बिन्दु गलत है, सुन्दर शब्द अपरिमित है, आधार भूत शब्द तभी प्रत्येक बस्तु ,भाव व तत्व- सत्यम, शिवम ,सुन्दरम होता है। सुन्दर शब्द सन्सार में किसी भी कार्य की आधार भूत त्रिविधाओं मे एक है, सभी स्थानों पर प्रयोग होगा।- तुलसी क्रत--<br />"सुन्दरता कहं सुन्दर करई..."डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-49696574459360209172009-09-28T21:43:05.565+04:002009-09-28T21:43:05.565+04:00आत्मीय जनों!
वन्दे मातरम.
यह नव गीत सराहने के लि...आत्मीय जनों!<br /><br />वन्दे मातरम.<br /><br />यह नव गीत सराहने के लिए आभार. खेद है कि मैं आज से पूर्व यह पाठशाला नहीं देख सका, इसलिए प्रतिक्रिया भी न दे सका.<br /><br />हरि जी! <br /><br />'बिखरा पड़ा है / बने तो समेटो' में क्या जान-बूझकर इंगित नहीं किया गया है ताकि पाठक अपनी मनोभूमि के अनुसार कल्पना कर सके. इससे गीत को व्यापकता मिली. हर पाठक अलग-अलग आयाम में सोचेगा. मुखडा आव्हान करता है...हर किसी को अपनी चाहत या इष्ट को समेटने के लिए.. अर्बुदा ने व्यापकता को व्यक्त भी किया है.<br /><br />स्वाति जी!<br /><br />गीत की पंक्ति अपने भाव के अनुसार सरस, मधुर, प्रिय, अप्रिय लग सकती है, सुन्दर नहीं. सुन्दरता आकार से सम्बंधित है. भाव निराकार होता है. पंक्ति शब्दों से बनती है, शब्द अक्षरों से बनते हैं...टंकित अक्षर एक से होते हैं. हस्तलिपि सुन्दर या असुंदर हो सकती है. गीत या गीत पंक्ति को सुन्दर कहना उतना ही गलत है जितना किसी रूपसी को स्वादिष्ट कहना. 'सुन्दर' विशेषण का गलत प्रयोग करनेवाले अन्य पाठक भी कृपया, सजग हों और इसे अन्यथा न लें.<br /><br />अजित जी!<br /><br />'अपना खडा / भर भुजाओं में भेंटो' भुजाओं में उसे भेंट जाता है जिसे पहचाना हो, जो अपना हो...अनजान-अजनबी को कोई भुजाओं में नहीं भरता. जो समीप खडा है उसे न जानने के कारण उससे गैरियत की जा रही है, जबकि दुनिया में कोई गैर है ही नहीं. हम सब एक ईश्वर की सन्तान हैं फिर गैरियत किससे और क्यों? जो भी समीप में है उससे अपनत्व पालकर उसे भुजाओं में भर कर भेंटो...वसुधैव कुटुम्बकम या विश्वैक नीडं की सनातन भारतीय अवधारणा भी तो यही कहती है.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-17990607430833927042009-09-20T10:01:04.731+04:002009-09-20T10:01:04.731+04:00अब आचार्य सलिल खुद उतर पड़े हैं नयी कार्यशाला में त...अब आचार्य सलिल खुद उतर पड़े हैं नयी कार्यशाला में तो शुरूआत तो जबरदस्त होनी ही थी।<br /><br />एक लाजवाब नवगीत!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-68044649070244264892009-09-09T17:24:56.606+04:002009-09-09T17:24:56.606+04:00aap ka likha sada hi sunder hota hai nav geet likh...aap ka likha sada hi sunder hota hai nav geet likhne me aap ko maharath hasil hai .bahut khoob <br />saader<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-2263828789959531932009-09-09T17:24:53.335+04:002009-09-09T17:24:53.335+04:00aap ka likha sada hi sunder hota hai nav geet likh...aap ka likha sada hi sunder hota hai nav geet likhne me aap ko maharath hasil hai .bahut khoob <br />saader<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-11769576336444148662009-09-09T07:36:51.815+04:002009-09-09T07:36:51.815+04:00मैंने गीत के बारे में एक प्रश्न किया था, लेकिन मु...मैंने गीत के बारे में एक प्रश्न किया था, लेकिन मुझे उसका उत्तर नहीं मिला, कृपया दें। अपना खडा, भर भुजाओं में भेंटों, का अर्थ क्या है?अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-50270489780948322812009-09-07T19:21:19.553+04:002009-09-07T19:21:19.553+04:00बहुत सुन्दर नवगीत ।बहुत सुन्दर नवगीत ।कटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-41672025025786619572009-09-05T23:41:41.945+04:002009-09-05T23:41:41.945+04:00एक सुन्दर नवगीत के लिये धन्यवाद । बहुत कुछ सीखने क...एक सुन्दर नवगीत के लिये धन्यवाद । बहुत कुछ सीखने को मिलेगा इस बार भी । आभार ।<br /><br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-3805791512175942892009-09-05T11:22:41.433+04:002009-09-05T11:22:41.433+04:00अत्यंत सुंदर ।
नव गीत वस्तुतः उद्बोधन गीत है।जितन...अत्यंत सुंदर ।<br />नव गीत वस्तुतः उद्बोधन गीत है।जितना गूढ़ उतना ही सहज।ऐसी रचना सहेज कर रखने के लिये हैं , ताकि पढ़ते रहिये ,और सीखते रहिये। बधाई।<br /><br />प्रवीण पंडितpraveen pandithttps://www.blogger.com/profile/04969273537472062512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-58427367299334648652009-09-05T00:00:00.554+04:002009-09-05T00:00:00.554+04:00बहुत ही सुन्दर नवगीत
नये अन्दा मे़बहुत ही सुन्दर नवगीत<br />नये अन्दा मे़Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-76941763141789789482009-09-04T11:06:38.933+04:002009-09-04T11:06:38.933+04:00बने तो समेटो, सुन्दर भाव. अच्छा नवगीत ।बने तो समेटो, सुन्दर भाव. अच्छा नवगीत ।डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-67528118586979276982009-09-04T07:34:36.021+04:002009-09-04T07:34:36.021+04:00अपना खडा भर भुजाओं में भेंटो। इस पंक्ति का अर्थ सम...अपना खडा भर भुजाओं में भेंटो। इस पंक्ति का अर्थ समझ नहीं आ रहा, कृपया स्पष्ट करें।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-29769058400019604492009-09-03T04:36:38.579+04:002009-09-03T04:36:38.579+04:00usulo ki mandi me chhai.....
poora paragraph hi su...usulo ki mandi me chhai.....<br />poora paragraph hi sunder hai aur geet achchha lagavandana singhnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-11349963828747231082009-09-02T19:51:11.486+04:002009-09-02T19:51:11.486+04:00अच्छा लगा यह नवगीत।
बधाई!
सुविधा का पिंजरा, सुआ मन...अच्छा लगा यह नवगीत।<br />बधाई!<br />सुविधा का पिंजरा, सुआ मन का बंदी<br />उसूलों की मंडी में छाई है मंदी<br />सियासत ने कर दी रवायत ही गंदी<br />सपना बड़ा, सच करो, मत लपेटो<br />बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं।अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-66703656869389303142009-09-02T14:43:45.034+04:002009-09-02T14:43:45.034+04:00नव्गीत की कार्यशाला की शुरुआत होते ही एक बहुत ही ...नव्गीत की कार्यशाला की शुरुआत होते ही एक बहुत ही सुंदर गीत पढ़ने को मिला <br />मिले दैव पथ में तो आँखें मिला लो<br />लिपट कीच में मन-कमल तो खिला लो <br />बहुत हुई सुन्दर पंकतिया, बहुत बहुत बधाई <br />धन्याद <br />विमल कुमार हेडाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-10933943135732352522009-09-02T14:29:41.521+04:002009-09-02T14:29:41.521+04:00mujhe panktiyan bahut hi sundar lagi.....shabdon k...mujhe panktiyan bahut hi sundar lagi.....shabdon ke chayan me navinta dikhayi padi....arthttps://www.blogger.com/profile/12939686404150553798noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-56451239598419163992009-09-02T09:22:37.511+04:002009-09-02T09:22:37.511+04:00'बिखरा पड़ा है' को बहुत ही व्यापक रूप मिल ...'बिखरा पड़ा है' को बहुत ही व्यापक रूप मिल गया है इस नवगीत से। शब्दावली बहुत जानदार है। बधाई स्वीकारें।arbudahttps://www.blogger.com/profile/17056310326068841113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-26038882985999685382009-09-02T09:16:42.934+04:002009-09-02T09:16:42.934+04:00बहुत सुन्दर !बहुत सुन्दर !Hariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-24706823922667398212009-09-02T02:29:13.886+04:002009-09-02T02:29:13.886+04:00एक बहुत बढ़िया नवगीत,
अति सुन्दर, रचनाकार को बहुत-...एक बहुत बढ़िया नवगीत,<br /><br />अति सुन्दर, रचनाकार को बहुत-बहुत बधाई<br /><br />कार्यशाला के प्रारम्भ होने की सबको मुबारक, ओपनिंग बहुत अच्छी हुई है।निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttps://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-67598995644302283752009-09-01T19:21:45.667+04:002009-09-01T19:21:45.667+04:00एक बढिया नवगीत और शानदार शुरुआत
लेकिन वो माल कहा़ ...एक बढिया नवगीत और शानदार शुरुआत<br />लेकिन वो माल कहा़ है जो बिखरा पडा हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-76578093883989996312009-09-01T17:23:16.712+04:002009-09-01T17:23:16.712+04:00वाह ! वाह ! वाह ! अतिसुन्दर .........
मंत्रमुग्ध ...वाह ! वाह ! वाह ! अतिसुन्दर .........<br /><br />मंत्रमुग्ध कर लिया इस सुन्दर रचना ने...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-39722738849588349122009-09-01T16:50:10.601+04:002009-09-01T16:50:10.601+04:00उसूलों की मंडी में छाई है मंदी
सियासत ने कर दी रवा...उसूलों की मंडी में छाई है मंदी<br />सियासत ने कर दी रवायत ही गंदी<br />सपना बड़ा, सच करो, मत लपेटो<br />बेहद प्रशंसनीय लिखा है...<br />संजीव जी को बधाई...<br />मीतमीतhttps://www.blogger.com/profile/04299509220827485813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-41191292723713274652009-09-01T16:45:24.516+04:002009-09-01T16:45:24.516+04:00अरे वाह! ये तो बहुत ही सुंदर नवगीत बन पड़ा है। इस क...अरे वाह! ये तो बहुत ही सुंदर नवगीत बन पड़ा है। इस कार्यशाला की शुरुआत बहुत ही अच्छी रही। रचनाकार को बहुत-बहुत बधाई। नवीन खयाल, नवीन रंग हैं नवगीत के।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-80723559995595183032009-09-01T15:55:21.029+04:002009-09-01T15:55:21.029+04:00बहुत ख़ूब!बहुत ख़ूब!Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-90440584621932919562009-09-01T13:16:52.214+04:002009-09-01T13:16:52.214+04:00वाह वाह! चौथी कार्यशाला की रचनाएँ प्रारंभ हो गईं ब...वाह वाह! चौथी कार्यशाला की रचनाएँ प्रारंभ हो गईं बड़ी खुशी हो रही है देखकर। पहले ही नंबर पर सलिल जी की जबरदस्त नवगीत आ गया है। अपना खड़ा भर भुजाओं में भेंटो क्या खूब लिखा है। बधाई और स्वागत।विनीता का चिट्ठाhttps://www.blogger.com/profile/10089696708728410209noreply@blogger.com