tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post3340864083392085388..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ८. नया नया क्या हैनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-85865952874430096712011-12-15T18:50:31.415+04:002011-12-15T18:50:31.415+04:00शाम खुशी
लाया खरीदकर ओढ ओढ कर जी
किंतु सुबह ने शब...शाम खुशी <br />लाया खरीदकर ओढ ओढ कर जी<br />किंतु सुबह ने शबनम सी चादर समेट रख दी<br />सजा प्लास्टिक के फूलों से <br />हर इक गमला है अति सुंदर वर्तमान की सजीव प्रस्तुति प्रभुदयालAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-24986124823880154232011-12-15T18:47:14.930+04:002011-12-15T18:47:14.930+04:00शाम खुशी
लाया खरीदकर ओढ ओढ कर जी
किंतु सुबह ने शब...शाम खुशी <br />लाया खरीदकर ओढ ओढ कर जी<br />किंतु सुबह ने शबनम सी चादर समेट रख दी<br />सजा प्लास्टिक के फूलों से <br />हर इक गमला हैति सुंदर वर्तमान की सजीव प्रस्तुति प्रभुदयालAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-13553554307712257182011-12-09T04:07:51.450+04:002011-12-09T04:07:51.450+04:00शाम खुशी
लाया खरीदकर ओढ ओढ कर जी
किंतु सुबह ने शब...शाम खुशी <br />लाया खरीदकर ओढ ओढ कर जी<br />किंतु सुबह ने शबनम सी चादर समेट रख दी<br />सजा प्लास्टिक के फूलों से <br />हर इक गमला है<br /><br />वाह बहुत सही कहा आपनेVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-54298297944806617562011-12-08T11:52:44.111+04:002011-12-08T11:52:44.111+04:00बहुत सुंदर नवगीत है, वीरेंद्र जी को बहुत बहुत बधाई...बहुत सुंदर नवगीत है, वीरेंद्र जी को बहुत बहुत बधाई‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-14350468664675499922011-12-08T06:31:42.534+04:002011-12-08T06:31:42.534+04:00नवगीत की अभिव्यक्ति कहाँ तक और कैसे फिलवक्त से रू-...नवगीत की अभिव्यक्ति कहाँ तक और कैसे फिलवक्त से रू-ब-रू होती है, इस गीत से पता चलता है| साधुवाद है भाई वीरेंद्र जैन को इस सार्थक रचना के लिए!ये पंक्तियाँ इस गीत को विशिष्ट बनाती हैं -<br /><br />उजड़ी गली, <br />उबलती नाली, कच्चे कच्चे घर<br />कितना हुआ विकास लिखा है सिर्फ पोस्टर पर<br />पोखर नायक के चरित्र सा <br />गंदला गंदला है<br /><br />कुमार रवीन्द्रkumar ravindrahttp://navgeetpathshala.blogspot.comnoreply@blogger.com