tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post363290767290697245..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: १. दीप जलने दोनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-14245372154118897742012-11-10T20:30:31.386+04:002012-11-10T20:30:31.386+04:00आँधियाँ गरजें
फटें बादल मगर फिर भी
दीप जलने दो !
...आँधियाँ गरजें<br />फटें बादल मगर फिर भी<br />दीप जलने दो !<br /><br />दीप जलने दो। सच भाई अश्विनी जी बधाई।mandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-63092894356676161232012-10-27T12:16:43.499+04:002012-10-27T12:16:43.499+04:00अँधेरे से लडने की प्ररणा देता है यह नवगीत। बधाई वि...अँधेरे से लडने की प्ररणा देता है यह नवगीत। बधाई विष्णु जीरवि शंकर रविhttps://www.blogger.com/profile/13975284945178542923noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-23927384163550549702012-10-25T18:15:35.750+04:002012-10-25T18:15:35.750+04:00सुंदर गीत बधाई आपको अश्विनी जीसुंदर गीत बधाई आपको अश्विनी जीकृष्ण नन्दन मौर्यnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-89198463697708911362012-10-22T16:24:48.255+04:002012-10-22T16:24:48.255+04:00सुंदर नवगीत के लिए अश्विनी जी को बधाईसुंदर नवगीत के लिए अश्विनी जी को बधाई‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-70350072665263719432012-10-21T12:01:06.406+04:002012-10-21T12:01:06.406+04:00दे झकोले युगनदी
उफने भँवर फिर भी
दीप जलने दो । ...दे झकोले युगनदी <br />उफने भँवर फिर भी <br />दीप जलने दो । <br />सुन्दर नवगीत के लिए अश्विनी कुमार विष्णु को बधाई ।surenderpal vaidyahttps://www.blogger.com/profile/03261070521163322668noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-75120388023523241372012-10-21T07:00:05.433+04:002012-10-21T07:00:05.433+04:00अश्विनी कुमार विष्णु की यह रचना,मेरी राय में, नवगी...अश्विनी कुमार विष्णु की यह रचना,मेरी राय में, नवगीत की दहलीज ही छू पाई है| नवगीत में जो सहज प्रवाह होना चाहिए, वह इसमें पूरी तरह नहीं आ पाया है| हाँ, अंतिम पदांत 'दे झकोले युगनदी / उफनें भँवर फिर भी / दीप जलने दो' पूरी तरह नवगीत की भंगिमा का है| वैसे यह गीत अपने-आप में अच्छा है| इस गीत के समग्र प्रभाव के लिए विष्णु जी को मेरा हार्दिक अभिनन्दन! Kumar Ravindrahttps://www.blogger.com/profile/11831047873400154921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-45006303513439636362012-10-20T21:55:44.760+04:002012-10-20T21:55:44.760+04:00बहुत सुन्दर गीत...
सादर
अनु बहुत सुन्दर गीत...<br /><br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-4442061029063631272012-10-20T19:29:41.966+04:002012-10-20T19:29:41.966+04:00राहु-केतु प्रपंच हैं
रह निडर तुम फिर भी
दीप जलने द...राहु-केतु प्रपंच हैं<br />रह निडर तुम फिर भी<br />दीप जलने दो !...वाकई बहुत अच्छी बात रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-64020521406505614842012-10-20T18:17:42.120+04:002012-10-20T18:17:42.120+04:00सुंदर गीत से श्रीगणेश हुआ है। अश्विनी जी, बधाई आपक...सुंदर गीत से श्रीगणेश हुआ है। अश्विनी जी, बधाई आपको कल्पना रामानीhttps://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.com