tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post4066387178505437013..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २३ : आतंकी हैं हम सभी : संजीव वर्मा 'सलिल'नवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-8514737093000404172010-05-24T19:50:56.693+04:002010-05-24T19:50:56.693+04:00आत्मीय जनों!
वन्दे मातरम.
इस शारदेय अनुष्ठान में य...आत्मीय जनों!<br />वन्दे मातरम.<br />इस शारदेय अनुष्ठान में यह अभिनव प्रयोग आपने सराहा तो मेरा कवि-कर्म सफल होता लगा. इस अनुष्ठान की है रचना पर उसी लय और पदभार में कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर हर सहभागी रचनाकार की मान वंदना के प्रयास पर भी आपकी सम्मति की प्रतीक्षा है. इन पंक्तियों के साथ-साथ किसी को ठेस पहुँचाये बिना प्रविष्टियों पर अपना संक्षिप्त अभिमत भी इंगित किया है जिसका उद्देश्य साहित्यिक चर्चा मात्र है. संचालक, प्रकाशक और शास्त्री नित्यगोपाल कटारे वास्तव में हम सबके अभिनन्दन के पात्र हैं कि उन्होंने हमें नवगीत को समझने ही नहीं इस विधा में कुछ रचने और बहुत कुछ पढने-समझने का अवसर उपलब्ध कराया. आगामी अंकों में कुछ और प्रयोगों में आपको सहभागी बनाने का प्रयास होगा.<br />Acharya Sanjiv Salil<br /><br />http://divyanarmada.blogspot.comDivya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-74704910593872173162010-05-24T09:28:33.248+04:002010-05-24T09:28:33.248+04:00फैलाते धुआँ,
ज़हर-भरी हवा,
मौत का कुआँ।
दोषी है क...फैलाते धुआँ,<br />ज़हर-भरी हवा,<br />मौत का कुआँ।<br /><br />दोषी है कौन?<br />प्रकृति करे प्रश्न,<br />छा जाता मौन।<br />ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी, संजीव वर्मा जी को बहुत बहुत बधाई <br />धन्यवाद<br />विमल कुमार हेडा़विमल कुमार हेडा़noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-24240071593724955052010-05-21T20:11:08.746+04:002010-05-21T20:11:08.746+04:00हिन्दू जगेगा देश जगेगा । मुल्ला सोएगा तभी देश हंसे...हिन्दू जगेगा देश जगेगा । मुल्ला सोएगा तभी देश हंसेगा ।PARAM ARYAhttps://www.blogger.com/profile/07013544056473438992noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-32712705624814489322010-05-21T20:08:48.508+04:002010-05-21T20:08:48.508+04:00दिलों का मेल,
तोड़ देना है खेल,
पीढ़ी का फ़र्क।
सु...दिलों का मेल,<br />तोड़ देना है खेल,<br />पीढ़ी का फ़र्क।<br />सुंदर भाव!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-34441114444144299092010-05-21T18:02:29.676+04:002010-05-21T18:02:29.676+04:00"कर पंकज की चाह नित, बिखराते हैं पंक।
आतंकी ह..."कर पंकज की चाह नित, बिखराते हैं पंक।<br />आतंकी है हम सभी, फैलाते आतंक।।"<br /><br />sach me jyaadatar aisa hi hai....<br /><br />kunwar ji,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-21175926148886189832010-05-21T17:50:53.354+04:002010-05-21T17:50:53.354+04:00sahi kaha aaina dikhaati kavita...sahi kaha aaina dikhaati kavita...दिलीपhttps://www.blogger.com/profile/15304203780968402944noreply@blogger.com