tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post4150217361076072754..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २६. झुंड में हैं पंछी अकेलानवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-56887072218986725172011-09-07T18:01:26.881+04:002011-09-07T18:01:26.881+04:00रचना को पाठशाला में प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत...रचना को पाठशाला में प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. डॉ. व्योम जी की प्रतिक्रिया शिक्षाप्रद व उत्साह वर्धक है. आप के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए आशा है कि आगे की कार्यशालाओं में अच्छा नवगीत प्रस्तुत कर सकूँगा. सधन्यवाद!उत्तम द्विवेदीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-72458160910618895492011-09-07T08:42:59.088+04:002011-09-07T08:42:59.088+04:00उत्तम द्विवेदी के गीत पर डॉ. व्योम की प्रतिक्रिया-...उत्तम द्विवेदी के गीत पर डॉ. व्योम की प्रतिक्रिया-<br />उत्तम द्विवेदी ने नवगीत के अनुरूप बहुत ही सुन्दर भाषा और शब्दावली का चयन किया है। मुझे लगता है कि उत्तम द्विवेदी यदि थोड़ा सा ध्यान नवगीत के कलेवर पर दें तो वे अति शीघ्र बहुत सुन्दर नवगीत का सृजन कर सकते हैं। उदाहरण के लिये --<br /><br />झुंड में पंछी अकेला<br />व्यर्थ का मेला ।<br /><br />बाँस -सी लम्बी घनी<br />उम्मीद की कोठी<br />पैर हैं लम्बे, मगर<br />चादर बहुत छौटी<br /><br />भीड़ में घिर कर यहाँ<br />क्या क्या नहीं झेला ।<br />झुंड में पंछी अकेला<br />व्यर्थ का मेला ।नवगीत की पाठशालाhttps://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.com