tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post4367266633303410238..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २०-ठहरो ज़रा सँवरने दो : निर्मला जोशीनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-36734201908091486052010-03-18T21:12:26.588+04:002010-03-18T21:12:26.588+04:00वाह! वाह! नवगीत की ठसक, भाषिक माधुर्य, शाब्दिक सरल...वाह! वाह! नवगीत की ठसक, भाषिक माधुर्य, शाब्दिक सरलता, भाव-संचरण, छांदस प्रवाह सभी ने आनंदित कर दिया. नमन.दिव्य नर्मदा divya narmadahttps://www.blogger.com/profile/17701696754825195443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-56674688914656087032010-03-16T18:26:29.497+04:002010-03-16T18:26:29.497+04:00ठहरो ज़रा सँवरने दो
फिर जी भर कर
निरख लेना
तन में...ठहरो ज़रा सँवरने दो<br />फिर जी भर कर<br />निरख लेना<br /><br />तन में मन में जग में पग में<br />रंग गंध घुल जाने तक<br />फागुन को<br />आज मचलने दो<br /><br />बाचूँगी मौसम की पाती¸<br />रंगों में रंग निखरने दो<br />ठहरो ज़रा सँवरने दो<br /><br /> - सुंदरhem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-7043894048629835452010-03-11T03:46:25.436+04:002010-03-11T03:46:25.436+04:00बाँधूगी आँचल में मधुवन
मधु ॠतु को मुक्त लहरने दो
ठ...बाँधूगी आँचल में मधुवन<br />मधु ॠतु को मुक्त लहरने दो<br />ठहरो ज़रा सँवरने दो<br />अत्यन्त सुन्दर निर्मल जी, इस नवगीत ने वसन्त को और संवार दिया । धन्यवाद तथा बधाई । <br />सादर,<br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-30554922730708160102010-03-10T07:47:44.139+04:002010-03-10T07:47:44.139+04:00यह फागुन है
घुल जाने दो
तन में मन में, मुझ में तुम...यह फागुन है<br />घुल जाने दो<br />तन में मन में, मुझ में तुम में<br />रेशम रेशम हो जाने तक<br /><br /><br />very nice.sharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-21378725136800087272010-03-08T11:25:21.914+04:002010-03-08T11:25:21.914+04:00Nirmalaji apke "thahro jara sanvarne do"...Nirmalaji apke "thahro jara sanvarne do" me jo gati v bahav hai vah chahkar bhee kisi ko thaharne nahee deta. agar mai jhooth hun to koi to samne aae jo in panktiyon ko padhkar thahar jaae<br />यौवन के महके<br />मोहक क्षण<br />तन में मन में जग में पग में<br />रंग गंध घुल जाने तक<br />फागुन को <br />आज मचलने दो<br />होली के रंग <br />भिगोएँ तो<br />फिर जी भर कर<br />महक लेना<br />आजूंगी आखों में काजल<br />अलकें पलकों तक गिरने दो<br />ठहरो ज़रा सँवरने दोmandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-71853681711523101352010-03-08T10:35:15.182+04:002010-03-08T10:35:15.182+04:00बाचूँगी मौसम की पाती¸
रंगों में रंग निखरने दो
ठहरो...बाचूँगी मौसम की पाती¸<br />रंगों में रंग निखरने दो<br />ठहरो ज़रा सँवरने दो<br /><br />सुंदर.....<br /><br /> <br />बधाई<br />निर्मला जी...गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-53931958806134663382010-03-08T09:48:00.484+04:002010-03-08T09:48:00.484+04:00सुन्दर गीत के लिए निर्मला जी को बहुत बहुत बधाई, धन...सुन्दर गीत के लिए निर्मला जी को बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद<br />विमल कुमार हेडाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-206420317231077832010-03-07T11:11:13.232+04:002010-03-07T11:11:13.232+04:00इस नवगीत में
बहुत अच्छे छंद की
रचना की गई है
और...<b>इस नवगीत में <br />बहुत अच्छे छंद की <br />रचना की गई है <br />और बहुत अच्छे ढंग से <br />इसे सँवारा गया है!</b> <br />-- <br />कुछ बिंब तो बहुत मोहक हैं, जैसे -- <br />-- <br /><b>मधु ॠतु को मुक्त लहरने दो!<br />अलकें पलकों तक गिरने दो! <br />यह फागुन है<br />घुल जाने दो<br />तन में मन में, मुझ में तुम में<br />रेशम-रेशम हो जाने तक<br />साँसों को आज<br />मचलने दो!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.com