tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post4403602715563023429..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २- रिश्तों का व्याकरणनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-36723990025543927042009-09-10T16:51:13.914+04:002009-09-10T16:51:13.914+04:00अमित जी इस नवगीत के लिये मैं आपके सम्मान में खडा ह...अमित जी इस नवगीत के लिये मैं आपके सम्मान में खडा होकर सैकडों बार वाह-वाह-वाह्.........करता हूं.संजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/04495238607820943010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-11075480670258164752009-09-09T17:05:44.043+04:002009-09-09T17:05:44.043+04:00अमित जी, वो आपके नवगीत से कुछ मिलता जुलता नवगीत था...अमित जी, वो आपके नवगीत से कुछ मिलता जुलता नवगीत था। शायद उसका भी भाव यही रहा हो। इसीलिये मैंने अपनी टिप्प्णी हटा दी है।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-72640082704832845642009-09-08T19:40:55.531+04:002009-09-08T19:40:55.531+04:00आदरणीय धर्मेन्द्र जी,
सराहना के लिये आभार! अभी ३० ...आदरणीय धर्मेन्द्र जी,<br />सराहना के लिये आभार! अभी ३० अगस्त को ही इस गीत को पूर्ण किया है। लिखना भी पाठशाला में की गयी घोषणा के बाद ही प्रारंभ किया था। मैंने कहीं सुनाया नहीं और जहाँ तक याद है कहीं सुना भी नहीं। अतः आपके कथन से आश्चर्यचकित अवश्य हूँ।अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-31067786342929001682009-09-07T19:19:49.444+04:002009-09-07T19:19:49.444+04:00नवगीत की सभी विशेषताओं को समेटे यह गीत बहुत कुछ सं...नवगीत की सभी विशेषताओं को समेटे यह गीत बहुत कुछ संदेश देने में सफल है। उत्कृष्ट नवगीत बधाई।कटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-52561757702545988712009-09-06T15:02:48.587+04:002009-09-06T15:02:48.587+04:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-42224565299052863732009-09-05T23:35:52.946+04:002009-09-05T23:35:52.946+04:00समाज की बदलती हुई तस्वीर को बहुत ही सुन्दर ढंग से ...समाज की बदलती हुई तस्वीर को बहुत ही सुन्दर ढंग से शब्दचित्रों में बाँधा है आपने इस रचना में । बार-बार पढ़ने से एक प्रश्न मन में उठता है कि हम कहाँ जा रहे हैं? और रिश्तों के व्याकरण के बिखरने की बात ने मन को छू लिया । एक अत्यन्त विचारोत्तेजक रचना के लिये बधाई और धन्यवाद स्वीकार करें।<br /><br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-46473828770703898362009-09-05T11:08:29.117+04:002009-09-05T11:08:29.117+04:00अमित जी ! अभिभूत हो गया मैं तो ।
शब्द-संयोजन अर्थ...अमित जी ! अभिभूत हो गया मैं तो ।<br />शब्द-संयोजन अर्थपूर्ण और भाव- संयोजन लयपूर्ण ।<br />और हाँ, व्याकरण पक्ष पर सामान्यतः आजकल कोई ध्यान नहीं देता, रिश्तों का हो तो भी।<br />बहुत अच्छी रचना , बधाई।<br /><br />प्रवीण पंडितpraveen pandithttps://www.blogger.com/profile/04969273537472062512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-85646345086879689932009-09-05T00:04:21.550+04:002009-09-05T00:04:21.550+04:00बहुत ही शानदार नवगीत.बहुत ही शानदार नवगीत.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-71922707745310723662009-09-04T11:02:23.004+04:002009-09-04T11:02:23.004+04:00बहुत सुन्दर नव-गीत, साथ में सुन्दर शब्द चयन,अर्थ-प...बहुत सुन्दर नव-गीत, साथ में सुन्दर शब्द चयन,अर्थ-प्रतीति,भाव व लक्षणाएं-व्यन्जनाएं।डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-15758269435850682712009-09-03T11:53:31.505+04:002009-09-03T11:53:31.505+04:00बेहद ही जबरदस्त लिखा है... सच में आपने बिखेर कर रख...बेहद ही जबरदस्त लिखा है... सच में आपने बिखेर कर रख दिया है...<br />उम्मीद है की आगे भी बेहतरीन नवगीत पढने को मिलें....<br />शुरुआत बढ़िया है.<br />मीतमीतhttps://www.blogger.com/profile/04299509220827485813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-77400193514508991632009-09-03T10:16:03.337+04:002009-09-03T10:16:03.337+04:00बहुत सुन्दर नवगीत बधाईबहुत सुन्दर नवगीत बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-40534617974681445242009-09-03T08:41:43.684+04:002009-09-03T08:41:43.684+04:00शीर्ष पर जिसके पदों का हुआ वन्दन
देखिये किस-किस की...शीर्ष पर जिसके पदों का हुआ वन्दन<br />देखिये किस-किस की गर्दन को दबा कर वो खड़ा है।<br />बहुत सुन्दर गीत की रचना की है , बहुत बहुत बधाई<br />धन्याद <br />विमल कुमार हेडाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-65097532558626222332009-09-03T07:19:00.606+04:002009-09-03T07:19:00.606+04:00बहुत सुंदर नवगीत। फिर नवीनता मिली इस नवगीत में।बहुत सुंदर नवगीत। फिर नवीनता मिली इस नवगीत में।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-7150532757339807892009-09-03T06:26:57.329+04:002009-09-03T06:26:57.329+04:00रिश्तों का पुराना व्याकरण बिखरा पड़ा है ..बहुत सुन...रिश्तों का पुराना व्याकरण बिखरा पड़ा है ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-88871663035723036892009-09-03T04:44:50.355+04:002009-09-03T04:44:50.355+04:00sunder shabd abhivykti aur uttam bhav abhivyakti b...sunder shabd abhivykti aur uttam bhav abhivyakti bahut dino bad kuchh achchhi hindi mein milavandana singhnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-58373787424926615622009-09-02T23:21:03.245+04:002009-09-02T23:21:03.245+04:00Bahut hee badhiya rachana. aaj ke kautumbik sthiti...Bahut hee badhiya rachana. aaj ke kautumbik sthitiyon ka sahee sahee chitran. Aapko badhaee. Aapki shialee bhee pasand aaee.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-49873020860327059752009-09-02T23:01:47.657+04:002009-09-02T23:01:47.657+04:00बदलते कल्चर को खूबसूरती से गीत मे बाँधा है..मोहक औ...बदलते कल्चर को खूबसूरती से गीत मे बाँधा है..मोहक और विचारोत्तेजकअपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-6690702978449981152009-09-02T22:27:26.590+04:002009-09-02T22:27:26.590+04:00आज की परिस्थितियों का चित्रण करती एक जबरदस्त नवगीत...आज की परिस्थितियों का चित्रण करती एक जबरदस्त नवगीत रचना-- शृखलात्मक नाटकों (जो शायद टीवी सीरियलों की ओर इशारा है) में समय का अनुबंधित हो जाना, अंतर्जाल की कुटिल तलवार के समक्ष वार्ता और हास परिहास का समय खतम हो जाना जैसे प्रगति के आचरणों से किस प्रकार रिश्तों का पारंपरिक व्याकरण बिखर गया है बेहद सफलता से चित्रित किया गया है। कुछ लोगों को शायद इस नवगीत की भाषा से थोड़ी शिकायत हो लेकिन कुल मिलाकर यह नवगीत भी कार्यशाला की सफलता व्यक्त कर रहा है। बधाई अमितजी।विनीता का चिट्ठाhttps://www.blogger.com/profile/10089696708728410209noreply@blogger.com