tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post4822360783444093629..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २१. नया पुरानानवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-90996386236976532522012-05-27T20:04:18.259+04:002012-05-27T20:04:18.259+04:00आप सबों का शुक्रिया. पूरा नवगीत मूल रूप में आप लोग...आप सबों का शुक्रिया. पूरा नवगीत मूल रूप में आप लोगों के सामने पेश है-<br />"जीवन का ये ही अफसाना |<br />राग नया है, साज पुराना ||<br /><br />जीवन की गति परिचित सी है,<br />पथ सारे जाने-पहचाने,<br />पंख मिले हैं हम सब को,<br />पर भूल गए है पर फैलाना |<br /><br />जीवन का ये ही अफसाना |<br />राग नया है, साज पुराना ||<br /><br />रिश्तों के सोते सूखे हैं,<br />घर-अपने पीछे छूटे हैं ,<br />पैसे की दीमक ने शुरू किया है, <br />घर की दीवारों को खाना |<br /><br />जीवन का ये ही अफसाना |<br />राग नया है, साज पुराना ||<br /><br />माँ –बाबूजी अब गाँवों में, <br />बेटे शहरों के बाशिंदे;<br />मोबाइल पर ही अब तो <br />चलता है रिश्तों का निभाना |<br /><br />जीवन का ये ही अफसाना |<br />राग नया है, साज पुराना ||<br /><br />पिज्जा से अब भूख मिटे है<br />और पेप्सी से प्यास,<br />शायद बच्चे भूल ना जाये <br />कैसा होता माँ का खाना |<br /><br />जीवन का ये ही अफसाना |<br />राग नया है, साज पुराना ||<br /><br />फेसबुकी इस दुनिया में अब <br />मिलना भी आभासी है, <br />जीने को मुल्तवी करते, करके <br />‘फुर्सत नहीं है’ का बहाना |<br /><br />जीवन का ये ही अफसाना |<br />राग नया है, साज पुराना || "KESHVENDRA IAShttps://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-81349308493743110202011-12-23T08:15:07.022+04:002011-12-23T08:15:07.022+04:00माँ–बाबूजी अब गाँवों में
बेटे शहरों के बाशिंदे
मोब...माँ–बाबूजी अब गाँवों में<br />बेटे शहरों के बाशिंदे<br />मोबाइल पर ही होता है<br />रिश्तों का संवाद निभाना<br />सुन्दर पंक्तियाँ, केशवेन्द्र कुमार जी को बहुत बहुत बधाई <br />धन्वयाद,<br />विमल कुमार हेडाविमल कुमार हेडाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-69300234655283173102011-12-22T11:45:50.114+04:002011-12-22T11:45:50.114+04:00बहुत बहुत बधाई केशवेंद्र जी को इस सुंदर नवगीत के ल...बहुत बहुत बधाई केशवेंद्र जी को इस सुंदर नवगीत के लिए‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-11041575187549822352011-12-22T10:27:21.632+04:002011-12-22T10:27:21.632+04:00Nav geet kuch adhuuraa sa hai fir bhi bahut su-nda...Nav geet kuch adhuuraa sa hai fir bhi bahut su-ndar manmohk laga naye kalevar me.badhai bhai Keshvendra ko. PrabhudayalPrabhudayalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-47324377555272740022011-12-22T08:30:10.044+04:002011-12-22T08:30:10.044+04:00साधुवाद भाई केशवेन्द्र कुमार जी को जिनका यह गीत नव...साधुवाद भाई केशवेन्द्र कुमार जी को जिनका यह गीत नवगीत की भंगिमा के बहुत नज़दीक है| हालाँकि यह मुकम्मिल नवगीत नहीं बन पाया है, फिर भी कुछ पंक्तियाँ तो अत्यंत सुखद हैं यथा -<br />'पंख मिले हैं हम सब को पर/ भूल गए है पर फैलाना', 'रिश्तों के सोते सूखे हैं','पैसे की दीमक ने घर में/ शुरू किया दीवारें खाना', 'मोबाइल पर ही होता है / रिश्तों का संवाद निभाना'kumar ravindrahttp://navgeetpathshala.blogspot.comnoreply@blogger.com