tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post4881595718149952726..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २३. आ गया नव वर्ष फिर,नवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-62399763304859776612011-12-24T17:45:26.798+04:002011-12-24T17:45:26.798+04:00बहुत सुंदर नवगीत है, प्रभुदयाल जी को बधाईबहुत सुंदर नवगीत है, प्रभुदयाल जी को बधाई‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-10411423613558131432011-12-24T07:43:13.452+04:002011-12-24T07:43:13.452+04:00इस शृंखला में एक से एक नवगीत बहुत ही सुन्दर बन पड़े...इस शृंखला में एक से एक नवगीत बहुत ही सुन्दर बन पड़े हैं । अब इस नवगीत को ही ले लीजिये। कितनी सुन्दरता से आज के माहोल को बाँध लिया है? आपकी काव्य-शक्ति को नमन !Hariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-73756381301641584822011-12-24T06:51:34.238+04:002011-12-24T06:51:34.238+04:00साधुवाद भाई प्रभुदयाल जी को| उनका यह गीत लंबी बहर ...साधुवाद भाई प्रभुदयाल जी को| उनका यह गीत लंबी बहर का होते हुए भी नवगीत की कहन को काफी हद तक पकड़ता है| अंतिम पद तो बहुत ही अच्छा बन पड़ा है|kumar ravindrahttp://navgeetpathshala.blogspot.comnoreply@blogger.com