tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post543134909255490632..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ४-कैसे बीनूँनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-32664993705487711042009-10-06T21:08:03.236+04:002009-10-06T21:08:03.236+04:00कुछ बेहद ही सुंदर प्रतिकों से सजा नवगीत..
"प...कुछ बेहद ही सुंदर प्रतिकों से सजा नवगीत..<br /><br />"प्रहरी नैना" के प्रयोग ने मन-मोह लिया।<br /><br />शशि पाधा जी को बधाई एक सुंदर गीत के लिये।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-23443489533051885562009-09-10T09:03:14.199+04:002009-09-10T09:03:14.199+04:00बहुत सुंदर ।
सभी प्रतीक बहुत नये, बहुत अच्छे और ...बहुत सुंदर ।<br />सभी प्रतीक बहुत नये, बहुत अच्छे और अंतस को छू गये।<br />शास्त्री जी की बात ने समुचित ध्यान खींचा।<br />सस्नेह <br /><br />प्रवीण पंडितpraveen pandithttps://www.blogger.com/profile/04969273537472062512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-16337014909061388362009-09-09T14:17:52.004+04:002009-09-09T14:17:52.004+04:00शशि जी हमेशा की तरह बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.
कोकिल...शशि जी हमेशा की तरह बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.<br />कोकिल गाए, आस बँधाए<br />भीनी पुरवा गले लगाए<br />किरणें छू कर अँग निखारें<br />रजनी गन्धा अलक बँधाए<br />कैसे सूनी माँग संवारूँ<br />कुँकुम-चन्दन बिखरा पड़ा है।<br />बहुत -बहुत बधाई.Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-51864732124533483652009-09-08T19:02:23.530+04:002009-09-08T19:02:23.530+04:00सदा की तरह सुंदर रचना। ढेर सी बधाई!सदा की तरह सुंदर रचना। ढेर सी बधाई!विनीता का चिट्ठाhttps://www.blogger.com/profile/10089696708728410209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-69253120892344954892009-09-07T19:06:40.611+04:002009-09-07T19:06:40.611+04:00बहुत सुन्दर नवगीत है।लय और गेयता भी सधी हुई है किन...बहुत सुन्दर नवगीत है।लय और गेयता भी सधी हुई है किन्तु बिखरा पड़ा है के चक्कर में इस गीत के सभी अन्तरों में एक मात्रा बढ गई है जो व्यवधान उत्पन्न कर रही है। यहाँ बिखरा बिखरा कर देने से सब ठीक हो जायेगा।कटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-3887885019792170642009-09-07T10:42:43.865+04:002009-09-07T10:42:43.865+04:00कैसे बंदनवार सजाऊँ
देहरी-आँगन बिखरा पड़ा है।
वाह शश...कैसे बंदनवार सजाऊँ<br />देहरी-आँगन बिखरा पड़ा है।<br />वाह शशी जी क्या लखिा है आपने बहुत सुंदर दिल में गहरे उतर गया...<br /><br />मीतमीतhttps://www.blogger.com/profile/04299509220827485813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-74739436655330210622009-09-06T19:57:00.519+04:002009-09-06T19:57:00.519+04:00sundar pravaah aur bhavoN ki achchhi abhivyaktisundar pravaah aur bhavoN ki achchhi abhivyaktivandananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-72203543234444920432009-09-06T19:34:45.498+04:002009-09-06T19:34:45.498+04:00अच्छा नवगीत लिखा है शशि जी। विरह और इंतज़ार के भाव...अच्छा नवगीत लिखा है शशि जी। विरह और इंतज़ार के भावों को शब्दों का बेहतरीन लिबास दिया है। मुझे काफी पसंद आया। आपको बधाई।arbudahttps://www.blogger.com/profile/17056310326068841113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-59219384390920485432009-09-05T18:29:41.977+04:002009-09-05T18:29:41.977+04:00अमित जी,
ध्यान दिलाने के लिये बहुत आभारी हूँ । शब्...अमित जी,<br />ध्यान दिलाने के लिये बहुत आभारी हूँ । शब्द "बंदनवार" है । <br />बंदनवार सजाऊँ ।<br /><br />पूर्णिमा जी,<br /><br />आपसे अनुरोध है कि आप मेरी रचना में यह शब्द बदल दें ।<br />सधन्यवाद,<br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-74729233234005030712009-09-05T10:57:55.849+04:002009-09-05T10:57:55.849+04:00atyant sundar.....atyant sundar.....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04403677628333445162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-62095920296645375712009-09-05T07:56:40.267+04:002009-09-05T07:56:40.267+04:00खोल अटरिया काग बुलाऊँ
पूछूँ क्या संदेसा कोई ?
बीच ...खोल अटरिया काग बुलाऊँ<br />पूछूँ क्या संदेसा कोई ?<br />बीच डगरिया नैन बिछाऊँ<br />पाहुन का अंदेसा कोई ?<br />कैसे बंधनवार सजाऊँ<br />देहरी-आँगन बिखरा पड़ा है ।<br /><br />वाह क्या सुन्दर पंक्योतियो की रचना की है , बहुत बहुत बधाई <br />धन्याद<br /><br />विमल कुमार हेडाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-10232599961848163982009-09-05T05:54:19.209+04:002009-09-05T05:54:19.209+04:00अच्छा गीत है! बधाई! पारम्परिक प्रतीकों का प्रयोग स...अच्छा गीत है! बधाई! पारम्परिक प्रतीकों का प्रयोग सुन्दर ढंग से किया गया है। एक शंका है इस पांक्ति में<br />कैसे बंधनवार सजाऊँ<br />शब्द बंधनवार है या बंदनवार या वंदनवार?अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-22594444867706050722009-09-05T00:39:09.383+04:002009-09-05T00:39:09.383+04:00सुन्दर काव्य हैसुन्दर काव्य हैVinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.com