tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post5640127954907418736..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ०२. घिर-घिर आए मेघा : गीता पंडितनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-46652766290531001832010-09-18T13:59:23.683+04:002010-09-18T13:59:23.683+04:00स्मृतिपरक सुरुचिपूर्ण रचना.स्मृतिपरक सुरुचिपूर्ण रचना.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-89444426271214855362010-09-13T11:25:56.739+04:002010-09-13T11:25:56.739+04:00छोटी-छोटी
नाव बनाकर
पानी में तैराना
छोटे-छोटे
पैरो...छोटी-छोटी<br />नाव बनाकर<br />पानी में तैराना<br />छोटे-छोटे<br />पैरों से फिर<br />छप-छप करते जाना<br /><br />यादों से है<br />भरा खजाना<br />सावन के हर छोर<br />अंतस मे गहरे तक पैठी यादों को ताज़ा करके सावनी बरसात मे एक बार पुनः बहते पानी मे पाँव छपछपाने को आतुर करता सा नवगीत बहुत भाया | <br /><br />स्मृति संयोजन बहुत ही अपना सा है |praveen pandithttps://www.blogger.com/profile/04969273537472062512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-83503274561051265902010-09-11T13:34:36.283+04:002010-09-11T13:34:36.283+04:00झूलों में
आ झूला बचपन
अंग-अंग थिरकन,
सखी-सहेली
भाई...झूलों में<br />आ झूला बचपन<br />अंग-अंग थिरकन,<br />सखी-सहेली<br />भाई-बहिना<br />अंतर की धङ़कन<br /><br />कजरी बनकर<br />गाए माई<br />प्रीत बहे हर पोर<br />देस बिराने भेज दिया क्यूँ<br />पीर मचाए शोर<br />ओ रे बदरा!<br />मेरे पिया की<br />पाती काहे ना लाए<br />दूर चला जा<br />बैरी मुझको<br />तनिक नहीं तू भाए<br /><br />बूँद-बूँद<br />बन पोत नाचते<br />आ अँखियों की कोर<br />संग में ले आ प्रियतम, मानूँ<br />तुमको चित्त का चोर<br />इन पंक्तियों को पढ़कर तो सावन क्या जेठ भी बरस उठेगा गीताजी <br />बेषक अंतरर्मन को आंदोलित करनेवाले उद्गार हैंmandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-20812683715798701112010-09-08T05:35:34.834+04:002010-09-08T05:35:34.834+04:00baadal aur yaadon ka sanyog bahut sundar haibaadal aur yaadon ka sanyog bahut sundar haivandanahttp://vandana-kuchhkahe.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-45412584447294780042010-09-07T17:42:56.684+04:002010-09-07T17:42:56.684+04:00ओ रे बदरा!
मेरे पिया की
पाती काहे ना लाए
दूर चला ज...ओ रे बदरा!<br />मेरे पिया की<br />पाती काहे ना लाए<br />दूर चला जा<br />बैरी मुझको<br />तनिक नहीं तू भाए<br />ati sunderrachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-37311749943921344672010-09-06T20:59:04.808+04:002010-09-06T20:59:04.808+04:00यह नवगीत तो मन में गुदगुदी मचाता चला गया!<b>यह नवगीत तो मन में गुदगुदी मचाता चला गया!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-77665256217480052252010-09-06T16:29:02.096+04:002010-09-06T16:29:02.096+04:00यादों का यह गीत बहुत सुंदर है.
हो, बिधना रे !
का...यादों का यह गीत बहुत सुंदर है.<br /><br />हो, बिधना रे ! <br />काहे दिया परदेस!<br />सावन के झूले,<br />सखियों संग खेले<br />बाबुल का प्यार,<br />मैया का दुलार<br />भैया को चौबारे , <br />मुझे भेज दिया बिराने देस <br />हो,बिधना रे!काहे दिया परदेस!sharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-56467559006459061932010-09-06T09:14:09.887+04:002010-09-06T09:14:09.887+04:00गीता जी का यादों का खजाना किसी को भी अपना सा लग ...गीता जी का यादों का खजाना किसी को भी अपना सा लग सकता है. बचपन में हम सबने कागज की नाव चलायी है, उसमें चीटें जी को बिठा देते थे और उसके पीछे पीछे भगते थे, छप-छप पानी में छपकना कैसे भूल सकता है. यादों का यह गीत भीतर उतर गया. मेघदूत से उलाहना भी पसन्द आयी.डा सुभाष रायnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-80838456976798441102010-09-05T20:54:52.840+04:002010-09-05T20:54:52.840+04:00नवगीत की समस्त विशिष्टताओं को अपने आंचल में समेटे ...नवगीत की समस्त विशिष्टताओं को अपने आंचल में समेटे यह सुन्दर रचना मनमोहक है। जहाँ तक अंतिम पंक्ति का प्रश्न है यदि वहाँ श्रृद्धा ही रखना है तो " अति श्रृद्धा उपजे" किया जा सकता है।कटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-72920185479231268492010-09-05T20:47:45.063+04:002010-09-05T20:47:45.063+04:00सुन्दर नवगीतसुन्दर नवगीतकटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-72841733662528839822010-09-05T18:56:25.411+04:002010-09-05T18:56:25.411+04:00boond boond ban ......aa akhiyon ki kore, umda upm...boond boond ban ......aa akhiyon ki kore, umda upma hai,कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवानhttps://www.blogger.com/profile/15885065966350572216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-56769876610043181132010-09-05T12:05:17.599+04:002010-09-05T12:05:17.599+04:00यादों से है
भरा खजाना
सावन के हर छोर
तीज-त्यौहार क...यादों से है<br />भरा खजाना<br />सावन के हर छोर<br />तीज-त्यौहार की गुंजियों में<br />नाचे नैहर मोर<br /><br />....बहुत सुंदर गीतअर्चना तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04130609634674211033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-21002260229602573432010-09-05T05:36:55.826+04:002010-09-05T05:36:55.826+04:00छोटी-छोटी
नाव बनाकर
पानी में तैराना
छोटे-छोटे
पैरो...छोटी-छोटी<br />नाव बनाकर<br />पानी में तैराना<br />छोटे-छोटे<br />पैरों से फिर<br />छप-छप करते जाना<br />बहुत सुन्दर पंक्तियाँ|<br />सुन्दर नवगीत के लिए बधाई|राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh)https://www.blogger.com/profile/17152336988382481047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-36858580909520744592010-09-04T21:31:03.209+04:002010-09-04T21:31:03.209+04:00बहुत सुन्दर, बधाई।बहुत सुन्दर, बधाई।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.com