tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post5781274213887692440..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ३. खोज लिए फागुन नवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-447056040165176152013-03-20T09:09:26.591+04:002013-03-20T09:09:26.591+04:00तितर-बितर रंगों में
खोज लिए फागुन
वास्तव में आज ह...तितर-बितर रंगों में<br />खोज लिए फागुन <br />वास्तव में आज हमें फागुन को खोजना पड़ता है. अतिसुन्दर नवगीत के लिये हार्दिक बधाई विष्णु जी.अनिल वर्मा, लखनऊ.noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-53159747414969952872013-03-18T13:34:22.104+04:002013-03-18T13:34:22.104+04:00सुंदर नवगीत के लिए अश्विनी जी को बहुत बहुत बधाईसुंदर नवगीत के लिए अश्विनी जी को बहुत बहुत बधाई‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-35225641264322638972013-03-15T06:53:23.481+04:002013-03-15T06:53:23.481+04:00'चुन लेते रस्ते-की
ठोकर से रुनझुन'
यह सात्...'चुन लेते रस्ते-की<br />ठोकर से रुनझुन'<br />यह सात्त्विक आग्रह आज के हमारे असंगत समय में बेहद ज़रूरी है। इस सार्थक फागुन- गीत के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें, विष्णु जी! Kumar Ravindrahttps://www.blogger.com/profile/11831047873400154921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-78406874443843170072013-03-14T08:34:46.090+04:002013-03-14T08:34:46.090+04:00ज़िद्दी हैं थोड़े
दीवाने हैं हम
हँस-गा लेते आँखें
हो...ज़िद्दी हैं थोड़े<br />दीवाने हैं हम<br />हँस-गा लेते आँखें<br />हों चाहे नम<br />चुन लेते रस्ते-की<br />ठोकर से रुनझुन<br />अति सुंदर नवगीत के लिए अश्विनी जी को हार्दिक बधाई॥ कल्पना रामानीhttps://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-32435545988043340232013-03-14T08:14:39.389+04:002013-03-14T08:14:39.389+04:00बहुत ही सरस प्रस्तुति.बहुत ही सरस प्रस्तुति.Rajendra kumarhttps://www.blogger.com/profile/00010996779605572611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-2296190540078675992013-03-14T06:52:49.944+04:002013-03-14T06:52:49.944+04:00सच्चे अर्थों में आपकी छाप है इस गीत में. माधुर्य, ...सच्चे अर्थों में आपकी छाप है इस गीत में. माधुर्य, जीवन के सच्चे अर्थ समेटे यह एक अनूठा नवगीत है जो होली को उसके पूरे उल्लास से जीता है चाहे फिर खुशियाँ हो या दुःख. बहुत सुन्दर प्रस्तुति आ अश्विनी जी. आपको बधाई.परमेश्वर फूंकवालnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-69921867392364059472013-03-13T21:19:16.048+04:002013-03-13T21:19:16.048+04:00इस सुन्दर नवगीत के लिए अश्वनी कुमार विष्णु जी को ह...इस सुन्दर नवगीत के लिए अश्वनी कुमार विष्णु जी को हार्दिक बधाई।surenderpal vaidyahttps://www.blogger.com/profile/03261070521163322668noreply@blogger.com