tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post6453300906544241945..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २६ : आतंक का साया : संजीव वर्मा 'सलिल'नवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-37986704944073122472010-07-01T19:18:49.510+04:002010-07-01T19:18:49.510+04:00आदरणीय सलिल जी का गीत बहुत उच्चस्तरीय है। इस सम्बन...आदरणीय सलिल जी का गीत बहुत उच्चस्तरीय है। इस सम्बन्ध में कोई विपरीत टिप्पणी जिसे मैं पढ़ नहीं पाया ध्यान देने योग्य नहीं है। कई पाठक कविता की समझ नहीं रखते और अन्यथा अर्थ निकाल लेते हैं। आशा है सलिल जी विचलित नहीं होंगे और नवगीत की पाठशाला में पूर्ववत् योगदान करते रहेंगे। <br />शास्त्री नित्यगोपाल कटारेकटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-57326953855954625322010-06-24T01:08:18.705+04:002010-06-24T01:08:18.705+04:00आदरनीय सलिलजी,
प्रणाम.
नासमझ बेनामी के कारण हमें अ...आदरनीय सलिलजी,<br />प्रणाम.<br />नासमझ बेनामी के कारण हमें अपने साथ से वंचित न करें. आपसे अनुरोध है.<br />वस्तुत; बेनामी को गीत समझ नहीं आया. हमें भी समझने के लिए तनिक प्रयत्न करना पड़ा था .यदि मुखड़े का अंश-<br />सच कहें मन भा गया<br />'आतंक का साया'.......<br />इस प्रकार ('----') में दिखाया जाता तो तनिक समझने मैं सरल हो जाता. <br />धन्यवाद.<br />सादर-शारदा मोंगाsharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.com