tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post6800357177794302835..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: १७ : भँवर बन के दिखाएँगे : शंभु शरण "मंडल"नवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-19357876358227366482010-08-16T09:03:27.496+04:002010-08-16T09:03:27.496+04:00प्रेम की भावभूमि पर रचित यह मनोरम नवगीत अनायास ही ...प्रेम की भावभूमि पर रचित यह मनोरम नवगीत अनायास ही मनप्राणों को झंकृत कर देता है ।<br />सरल “ाब्दो में प्रेम और लगाव की यह सरल व स्वार्थहीन व्याख्या भला किसे नहीं बसबस अपनी ओर लुभाता है। अब तो जरूरत है इस सरलता और सादगी को अपने जीवन में उतारने ,इस अमंद गंध से अपनी प्रमवाटिका को सजाने संवारने और महकाने की। मैं इस नवगीत के रचयिता श्री “ांभु “ारणजी सहित टीम अनुभूति व टीम नवगीत को भी तहे दिल से “ाुक्रिया अदा करता हूं।subodh sumanhttps://www.blogger.com/profile/16018703623568383742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-5466910561429493732010-08-15T18:52:29.744+04:002010-08-15T18:52:29.744+04:00प्रेम की अभिव्यंजना से युक्त एक सुन्दर नवगीत ने मन...प्रेम की अभिव्यंजना से युक्त एक सुन्दर नवगीत ने मन को मुग्ध कर दिया, रचनाकार को बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई!उत्तम द्विवेदीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-3958430917739469932010-08-14T16:47:00.264+04:002010-08-14T16:47:00.264+04:00एक सुन्दर गीत के लिए मंडल जी को बधाई।एक सुन्दर गीत के लिए मंडल जी को बधाई।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-77502821774778739212010-08-13T11:53:22.314+04:002010-08-13T11:53:22.314+04:00कहीं कहीं कुछ अटकाव के बावजूद इसमें भटकाव नहीं है।...कहीं कहीं कुछ अटकाव के बावजूद इसमें भटकाव नहीं है।<br />कुलमिलाकर एक बेहतरीन नवगीत है जो पठनीय तो है ही साथ साथ गेय भी है ।<br /> बहुत बहुत मुबारक सभी को।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/02221036810889976431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-90026318312295251872010-08-13T11:17:19.652+04:002010-08-13T11:17:19.652+04:00भंवर व कुमुदिनी के बहाने मोहब्बत के सही पाठ
पढ़ान...भंवर व कुमुदिनी के बहाने मोहब्बत के सही पाठ <br />पढ़ानेवाले उस रचनाकार के लिए तो बधाई के <br />हार भी हल्के पड़ गए। फिलहाल इस सहज व बेमिषाल<br />अभिव्यक्ति से हमें संतृप्त करने के लिएटीम नवगीत <br />को “ांभु “ारणजी की इन पंक्तियो के साथ हार्दिक बधाई।<br />नज़र के रास्ते दिल में<br />तेरे जो हम उतर जाएँ<br />तेरी धड़कन से फिर कोई<br />नया सरगम निकल जाए<br />सताएगी नहीं फिर तो<br />किसी मौसम की रुसवाई<br />कभी ठुमरी, कभी कजरी<br />कभी सोहर सुनाएँगेAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/17372249740025951449noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-45642552232950824342010-08-12T10:17:48.357+04:002010-08-12T10:17:48.357+04:00सराहनीय नवगीत.सराहनीय नवगीत.sharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-32772185938511940512010-08-12T09:35:16.283+04:002010-08-12T09:35:16.283+04:00ल्ंाबे अंतराल के बाद सहज प्रवाह में गुंफित एक सरस ...ल्ंाबे अंतराल के बाद सहज प्रवाह में गुंफित एक सरस रचना पढ़ी फिर तो उंगलियां रोके नहीं रूकी और थिरकती गई कुंजी पटल पर अवश अनायास ठीक वैशाली की नगर वधू की तरह। प्रेम की बारीक अनुभूतियों को इतनी बेबाक व सहज से अभिव्यक्ति बड़ी खुशकिस्मती से मिलती है। निःस्वार्थ प्रेम की अनछुई बानगी तो इन पंक्तियों में देखते ही बनती है<br />तुम्हारे बिन नज़ारे जो<br />कभी लगते वीराने से<br />वही हँसने लगे खुलके<br />तुम्हारे मुस्कुराने से<br />उजाले काट लो चाहे<br />जहाँ के साथ जानेमन<br />अँधेरा बाँटने हरदम<br />तुम्हारे पास आएँगे<br /><br /><br /><br /> !वाह लाजवाब! टीम अनुभूति को लाख लाख ‘ाुक्रिया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09072742142845249199noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-67411257397232290052010-08-12T08:09:02.629+04:002010-08-12T08:09:02.629+04:00नज़र के रास्ते दिल में
तेरे जो हम उतर जाएँ
तेरी धड़...नज़र के रास्ते दिल में<br />तेरे जो हम उतर जाएँ<br />तेरी धड़कन से फिर कोई<br />नया सरगम निकल जाए<br />सताएगी नहीं फिर तो<br />किसी मौसम की रुसवाई<br />कभी ठुमरी, कभी कजरी<br />कभी सोहर सुनाएँगे<br />बहुत ही सुन्दर प्रेमगीत, शंभू जी को बहुत बहुत बधाई,<br />धन्यवाद।<br />विमल कुमार हेड़ा।विमल कुमार हेड़ा।noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-80734016739109685542010-08-11T13:50:00.236+04:002010-08-11T13:50:00.236+04:00निःस्वार्र्थ प्रेम के लिए समर्पित यह रचना हर एक दि...निःस्वार्र्थ प्रेम के लिए समर्पित यह रचना हर एक दिल को बरबस छू लेती है। अनुभतियों के निःश्छल और पाक लहरों में सवारी करने के लिए बाध्य कर देती है। कल्पनाओं से इतर यदि इसे व्यवहारिकता के जोड़ा जाए तो यह कितनो के घरो में ‘ाुष्क होते जा रहे प्रेम को फिर से पुष्पपित व पल्लवित कर देने का माद्या रखती है। ऐसी ही और सारी रचनाओं की मुझे ही नहीं बल्कि इस दुनिया को भी इंतजार है। श्री मंडल को कोटिशः बधाई बड़ी बारीकी व लयबद्ध ‘ौली में सफलतापूर्वक अपनी बात कहने के लिए तथा टीम अनुभूति को हम तक ऐसी रचनाओ को बेबाक परोसने के लिए। <br /><br />आपका <br />रंजीत यादव <br />झारखंड,भारतAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-61741515005668318252010-08-11T11:51:40.876+04:002010-08-11T11:51:40.876+04:00niswarth prem k liye smarpit e rachna har ek k dil...niswarth prem k liye smarpit e rachna har ek k dil ko barbas hin chhoo leta hai, anubhutiyon k nischhal aur pak lahron mein sawari karne k liye badhya kar deta hai. kalpanaon se etar jadi ese baiwharikta se joda jai to yah kitno k gharon men susk hote ja rahe prem ko phir se pusppalwit kar dene ka mada rakhata hai. aisi aou sari rachnanaon ki mujhe hin nahin balki ish dunia ko bhi intjar rahega.<br /><br />Ranjit Prasad Yadav, (CSIR)Dhanbad, JharkhandAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-3628144767178897272010-08-10T21:31:14.112+04:002010-08-10T21:31:14.112+04:00सराहनीय प्रयास.सराहनीय प्रयास.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.com