tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post6838836579975933994..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २५- देखो सजी रंगोली : वंदना सिंहनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-25590493223685677822010-03-18T21:29:02.455+04:002010-03-18T21:29:02.455+04:00भाव तथा कथ्य अच्छा है पर शब्दों में ग्रामीण या जमी...भाव तथा कथ्य अच्छा है पर शब्दों में ग्रामीण या जमीनी प्रभाव अधिक हो तो अधिक निखार आ सकेगा.दिव्य नर्मदा divya narmadahttps://www.blogger.com/profile/17701696754825195443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-71240227091140025922010-03-16T21:53:19.699+04:002010-03-16T21:53:19.699+04:00बंशी कोकिल की
गूँजी वन प्रांगण
अलियों का गुंजन, दस...बंशी कोकिल की<br />गूँजी वन प्रांगण<br />अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!<br /><br />संदेश नेह का<br />बरसे हर ऑंगन<br />अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!<br />मधुर भाव लगे वंदना जी । धन्यवाद ।<br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-50669832635100443432010-03-15T09:03:39.279+04:002010-03-15T09:03:39.279+04:00चंपा चमेली
महके पराग
वैभव बिखराए कचनार पलाश
हँसता ...चंपा चमेली<br />महके पराग<br />वैभव बिखराए कचनार पलाश<br />हँसता झरे<br />जब हारसिंगार<br />स्वागत को आतुर करता परिहास<br />बंशी कोकिल की<br />गूँजी वन प्रांगण<br />अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!<br /><br />jyon jyo padhta gaya man prano me utarta gaya apka geet.yon hi banagae rakhie rachnasheelta kee reetmandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-4097881691524529272010-03-15T07:12:37.524+04:002010-03-15T07:12:37.524+04:00चंपा चमेली
महके पराग
वैभव बिखराए कचनार पलाश
हँसता ...चंपा चमेली<br />महके पराग<br />वैभव बिखराए कचनार पलाश<br />हँसता झरे<br />जब हारसिंगार<br />स्वागत को आतुर करता परिहास<br />बंशी कोकिल की<br />गूँजी वन प्रांगण<br />अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!<br /><br />बसंत का सुन्दर चित्रण, बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद,<br />विमल कुमार हेडाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-18548939795052947892010-03-13T06:18:37.491+04:002010-03-13T06:18:37.491+04:00सुंदर नवगीत हैसुंदर नवगीत हैsharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-51958055463013560182010-03-12T21:54:23.416+04:002010-03-12T21:54:23.416+04:00बहुत सुंदर गीत फ़ागुन के रंगो मे रंगाबहुत सुंदर गीत फ़ागुन के रंगो मे रंगाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-75017774235979820152010-03-12T21:11:08.010+04:002010-03-12T21:11:08.010+04:00सचमुच सजी रंगोली,
मझसे ख़ुशबू बोली!
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हँसकर हर...<b>सचमुच सजी रंगोली, <br />मझसे ख़ुशबू बोली! <br />-- <br />हँसकर हरसिंगार सजाता, <br />वसुधा का शुभ आँगन! <br />--<br />ज्यों दस्तक देता है फागुन,<br />ख़ुशबू लेकर आए पाहुन, <br />अलि लेकर आए गुंजन! <br />--<br />सुंदर है नवगीत सजाया, <br />रवि के मन को भाया!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-30431975619335266702010-03-12T20:33:06.673+04:002010-03-12T20:33:06.673+04:00सुन्दर गीत फागुनी रंग से लबरेजसुन्दर गीत फागुनी रंग से लबरेजM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com