tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post6859721459920384639..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: 16-भावना कुंअरनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-23823872094563928532009-05-25T19:32:21.497+04:002009-05-25T19:32:21.497+04:00भावना जी के गीत की थोड़ी सी शल्यचिकित्सा कर रहा हूँ...भावना जी के गीत की थोड़ी सी शल्यचिकित्सा कर रहा हूँ .इससे अच्छी तरह समझा जा सकता है।उन्हीं के शब्दों में कुछ इधर से उधर करता हूँ<br />शाखाओं पर फूल <br />और फूलों पर भंवरे<br />कितने ही उपवन,<br /> अंधी आँधी में बिखरे<br />पर फूलों में बसे,<br />प्यार का रंग न बदला।<br />आज तलक तो,<br />बहुत तेज तूफानों में भी।<br />आकाशी पंछी की,<br />मुक्त उडानों भी में भी।<br />सतत टूटते पंखों के<br />गिरने का ढंग न बदला।<br /><br />समय सलाई वही<br />आज भी बुनती जीवन धागे ,<br />पल पल कमती हई दूरियाँ<br />कोई कितना भागे।<br /> जीवन की डोरी से ज्यों,<br />सांसों का रंग न बदला।कटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-62841657683994081492009-05-25T01:40:14.450+04:002009-05-25T01:40:14.450+04:00भावना जी का नवगीत भी
मुझे पसँद आया --
अच्छे प्रय...भावना जी का नवगीत भी <br />मुझे पसँद आया --<br /> अच्छे प्रयास के लिये उन्हेँ बधाई <br />-लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-15421496042683181722009-05-24T21:57:05.440+04:002009-05-24T21:57:05.440+04:00यह एक भाव प्रणव काव्य रचना है जो न तो गीत या नव गी...यह एक भाव प्रणव काव्य रचना है जो न तो गीत या नव गीत के मानकों पर खरी है न ही छंद हीन है. संकेत यह की नव गीत लिखते समय स्थाई की पंक्तियों की संख्या यथा संभव सामान हो तथा अंतरे की पंक्तियों की संख्या सामान हो. पंक्तियों का पदभार सामान होना गीत की शर्त है. नवगीत कुछ ढील देता है. पंक्तियाँ कुछ छोटी बड़ी हो सकती हैं पर कुल मिलाकर पद का पदभार संतुलित हो. शब्दों के पर्यायवाची बदल-बदलकर संतुलन लायें. अभ्यास हो जाने पर अपने आप सही शब्द आने लगेगा.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-78388509052306532672009-05-24T09:01:36.692+04:002009-05-24T09:01:36.692+04:00दूसरा अंतरा थोड़ा सा उलझा गया
"आज तक भी" कहना
किंत...दूसरा अंतरा थोड़ा सा उलझा गया<br />"आज तक भी" कहना<br /><br />किंतु पूरी रचना बहुत अच्छी बन पड़ी है भावना जीगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-6550358513296449062009-05-23T19:51:24.480+04:002009-05-23T19:51:24.480+04:00भावना जी की इस कविता और नवगीत के मध्य एक लम्बा अंत...भावना जी की इस कविता और नवगीत के मध्य एक लम्बा अंतराल है, नवगीत की उस सुरम्य उपत्यिका तक पहुँचने के लिए कुछ अतिरिक्त सतर्कता युक्त श्रम करना ही होगा। डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-59027200079821466892009-05-23T19:38:42.819+04:002009-05-23T19:38:42.819+04:00बहुत सुन्दर और कोमल रचना!!बहुत सुन्दर और कोमल रचना!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-71700408612238822122009-05-23T18:20:06.029+04:002009-05-23T18:20:06.029+04:00सुंदर रचना है...सुंदर रचना है...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-83188440033161177362009-05-23T17:08:12.362+04:002009-05-23T17:08:12.362+04:00समय की सलाईयाँ,
आज भी बुनती।
जीवन धागे से,
पलों को...समय की सलाईयाँ,<br />आज भी बुनती।<br />जीवन धागे से,<br />पलों को चुनती।<br />पर जीवन डोर से,<br />सांस का रंग न बदला। <br /><br />ये पंक्तियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी।दीपिका जोशी 'संध्या'https://www.blogger.com/profile/12808052661092589035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-9115320657218801082009-05-23T17:07:40.171+04:002009-05-23T17:07:40.171+04:00कितनी सुंदर कविता है। मगर नवगीत तो नहीं है शायद। स...कितनी सुंदर कविता है। मगर नवगीत तो नहीं है शायद। सुंदर भाव।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-84045787210849690252009-05-23T17:00:44.599+04:002009-05-23T17:00:44.599+04:00भावना की रचना सुंदर है, विचार कवितामय हैं नए बिम्ब...भावना की रचना सुंदर है, विचार कवितामय हैं नए बिम्ब मोहक हैं लेकिन गीत की विधा में नहीं ढली है। यह सब गीत में ढलता तो और भी आकर्षक होता। शास्त्री जी की टिप्पणी इस विषय को विस्तार से बता सकेगी।पूर्णिमा वर्मनhttps://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.com