tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post6996931578046109179..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: १४ : कुछ इस क़दर : रचना श्रीवास्तवनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-60185618463805240982010-05-14T04:28:42.101+04:002010-05-14T04:28:42.101+04:00डरते आकारों से उनके साये.
देख भवन ऊँचे नीवें घबराए...डरते आकारों से उनके साये.<br />देख भवन ऊँचे नीवें घबराएँ.<br />कंकर से शंकर <br />डरकर घबराया है.<br />चंदा को तारों ने<br />मिलकर धमकाया है.<br /><br />रचना को रचना से <br />होती है घबराहट.<br />गायन से गुम होती <br />सुर-लय की क्यों चाहत?<br />वाद्यों का कर्कश स्वर<br />दस दिश में छाया है.<br /> न्याय प्रशासन शासन<br />गायब सा पाया है.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-27808867585161256132010-05-13T16:37:44.984+04:002010-05-13T16:37:44.984+04:00सब पर आतंक का साया,
कुछ इस क़दर छाया है
सूरज अंधे...सब पर आतंक का साया,<br />कुछ इस क़दर छाया है <br />सूरज अंधेरों से घबराया है,<br />:<br />खूब लिखा है, अच्छा है.sharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-78980099576679730682010-05-13T15:51:46.336+04:002010-05-13T15:51:46.336+04:00जड़ और चेतन दोनों ही भय से कहीं सिमट गये हैं और आतं...जड़ और चेतन दोनों ही भय से कहीं सिमट गये हैं और आतंक का साया सब पर छाया है । बहुत अच्छी रचना है रचना जी । धन्यवाद ।<br />शशि पाधाShashi Padhahttps://www.blogger.com/profile/00598501778506881242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-24754907546325580012010-05-13T08:25:39.414+04:002010-05-13T08:25:39.414+04:00आतंक के साये का बहुत अच्छा चित्रण किया है ...अच्छा...आतंक के साये का बहुत अच्छा चित्रण किया है ...अच्छा गीत हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-24662135218766756642010-05-13T08:20:21.218+04:002010-05-13T08:20:21.218+04:00सुन्दर गीत के लिये रचना जी को बहुत बहुत बधाई
धन्यव...सुन्दर गीत के लिये रचना जी को बहुत बहुत बधाई<br />धन्यवाद।<br />विमल कुमार हेडा़विमल कुमार हेडा़noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-3089215438842873672010-05-13T03:56:36.354+04:002010-05-13T03:56:36.354+04:00पेड़ों ने तजे पात
लाज उनकी बचाने को,
फूलों ने समेट...पेड़ों ने तजे पात<br />लाज उनकी बचाने को,<br />फूलों ने समेट ली सुगंध<br />टूटने से बच जाने को।<br />चिड़ियों को भी यहाँ<br />फुसफुसाता पाया है<br />कुछ इस क़दर<br />आतंक का साया है।<br />bahut khoob dar ka chitran bahut achchhe se kiya haivandananoreply@blogger.com