tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post7102625163805844119..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: १३- पावस प्रातःनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-4904309095294305172009-09-25T08:24:26.718+04:002009-09-25T08:24:26.718+04:00पढ़ने के बाद नरम नरम सा महसूस हुआ।
शब्द-संयोजन मोहत...पढ़ने के बाद नरम नरम सा महसूस हुआ।<br />शब्द-संयोजन मोहता है।praveen pandithttps://www.blogger.com/profile/04969273537472062512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-37996252556276500862009-09-21T18:26:40.701+04:002009-09-21T18:26:40.701+04:00नग-शिखर पर टिका कर कोहनी
भोर-नवोढा विचर रही है
झील...नग-शिखर पर टिका कर कोहनी<br />भोर-नवोढा विचर रही है<br />झील-झील की बूँद-बूँद में<br />पावस प्रातः निखरी पड़ी है <br />ye panktiyan bahut sunder <br />bahut sunder varnan hai <br />badhai<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-88755433591103996972009-09-19T21:31:37.280+04:002009-09-19T21:31:37.280+04:00नयी नवेली भोर का इतना विविध तथा सजीव चित्रण। बहुत ...नयी नवेली भोर का इतना विविध तथा सजीव चित्रण। बहुत ही सुन्दर कल्पना और अभिव्यक्ति के लिये ढेर सी बधाई स्वीकार करें ।<br /><br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-34340008630110613862009-09-19T10:13:51.775+04:002009-09-19T10:13:51.775+04:00वाह दी आपने क्या लिखा है...
कसम से जब आपकी रचनाएँ ...वाह दी आपने क्या लिखा है...<br />कसम से जब आपकी रचनाएँ पढता हूँ तो लगता है की यह कभी ख़त्म ना हों...<br />सच में आपने पावस प्रातः को बिखरा दिया है...<br />आपका भाई<br />मीतमीतhttps://www.blogger.com/profile/04299509220827485813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-27298228493245657632009-09-19T08:19:03.722+04:002009-09-19T08:19:03.722+04:00प्रातः काल को बहुत सुन्दर शब्दों में पिरोया, बहुत ...प्रातः काल को बहुत सुन्दर शब्दों में पिरोया, बहुत बहुत बधाई , धन्यवाद <br /><br />विमल कुमार हेडाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-46792131196055979202009-09-18T18:38:50.143+04:002009-09-18T18:38:50.143+04:00बादल से न बोलूं आज
फिर छितराऊ रश्मि का राज
नग-शिखर...बादल से न बोलूं आज<br />फिर छितराऊ रश्मि का राज<br />नग-शिखर पर टिका कर कोहनी<br />भोर-नवोढा विचर रही है<br />kitna sunder chitran hai<br />saader<br />rachanarachananoreply@blogger.com