tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post7236408637085416456..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: २२. हम पलाश के वननवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-44276672832392477912012-04-06T20:30:03.706+04:002012-04-06T20:30:03.706+04:00आपका हार्दिक आभारआपका हार्दिक आभार डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-91817160809679730222012-04-06T20:28:34.074+04:002012-04-06T20:28:34.074+04:00आभारआभार डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-47029906456303584852012-04-06T20:27:43.615+04:002012-04-06T20:27:43.615+04:00आपने नवगीत की आत्मा को समझा और टिप्पणी लिखी, इसके ...आपने नवगीत की आत्मा को समझा और टिप्पणी लिखी, इसके लिए आभार डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-46597982355961236352012-04-06T20:26:18.483+04:002012-04-06T20:26:18.483+04:00आपका हार्दिक आभारआपका हार्दिक आभार डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-75329303977407749382012-04-06T20:25:27.511+04:002012-04-06T20:25:27.511+04:00आभारआभार डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-29560187690397128102012-04-06T20:24:34.447+04:002012-04-06T20:24:34.447+04:00धन्यवाद धर्मेन्द्र कुमार जीधन्यवाद धर्मेन्द्र कुमार जी डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-36184406872805126702012-04-06T20:23:42.448+04:002012-04-06T20:23:42.448+04:00आपका हार्दिक आभारआपका हार्दिक आभार डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-26757218981547387742011-07-07T08:07:17.586+04:002011-07-07T08:07:17.586+04:00कई बार इस गीत नवगीत को पड़ा है. बहुत अचछा लगा पड़क...कई बार इस गीत नवगीत को पड़ा है. बहुत अचछा लगा पड़कर. लगता है कि मेरे मन की ही बात इसमें कह दी गई है।निशात प्रकाशनhttps://www.blogger.com/profile/13323713582627451619noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-50852800991268156752011-07-07T07:30:43.217+04:002011-07-07T07:30:43.217+04:00व्योम जी आपका नवगीत पढ़कर होशंगाबाद में आपके रहने ...व्योम जी आपका नवगीत पढ़कर होशंगाबाद में आपके रहने का समय याद आ रहा है।नर्मदा तीरेhttps://www.blogger.com/profile/07520058687349196109noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-51416527225190063702011-07-05T09:37:00.848+04:002011-07-05T09:37:00.848+04:00भाई जगदीश व्योम का यह गीत नवगीत विधा की समृद्ध कहन...भाई जगदीश व्योम का यह गीत नवगीत विधा की समृद्ध कहन की बानगी देता है| इसके माध्यम से आज के सन्दर्भों पर अत्यंत सार्थक टिप्पणी की है व्योम जी ने| मेरा हार्दिक साधुवाद उन्हें और नवगीत पाठशाला टीम को |<br />कुमार रवीन्द्रKumar Ravindrahttps://www.blogger.com/profile/11831047873400154921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-75295641248565443202011-07-04T00:04:30.108+04:002011-07-04T00:04:30.108+04:00तीन पात से बढ़े न आगे
कितने युग बीते
अभिशापित हैं ...तीन पात से बढ़े न आगे<br />कितने युग बीते<br />अभिशापित हैं जनम-जनम से<br />हाथ रहे रीते<br />सहते रहे ताप, वर्षा<br />पर नहीं किया क्रंदन<br />हम पलाश के वन,<br /><br />बहुत सुन्दर नवगीत ...<br />गेयता तो देखते ही बनती है...<br /> <br />व्यास जी को बहुत - बहुत वधाई।गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-24985289608932203182011-07-02T08:04:32.274+04:002011-07-02T08:04:32.274+04:00vrey good NAVGEETvrey good NAVGEETEducationhttps://www.blogger.com/profile/08620095452850897374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-44340410708813218002011-07-02T08:01:36.665+04:002011-07-02T08:01:36.665+04:00अत्यन्त सुन्दर और प्रवाहमयी नवगीत के लिये बधाई। इं...अत्यन्त सुन्दर और प्रवाहमयी नवगीत के लिये बधाई। इंटरनेट पर नवगीत को लोकप्रिय बनाने की बहुत अच्छी कोशिश के लिये पाठशाला के आयोजकों का बहुत आभार।vijendra kumarhttps://www.blogger.com/profile/08986396348484135489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-49099162863796272242011-07-02T07:28:39.058+04:002011-07-02T07:28:39.058+04:00चमक दमक से दूर
हमारी बस्ती है निर्जन
बहुत सुन्दर ...चमक दमक से दूर<br />हमारी बस्ती है निर्जन<br /><br />बहुत सुन्दर बात कही है आम आदमी के देनिक जीवन और रहन सहन के बावत। मन में बस गया ये नवगीत।<br />--गुलशनAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-12136571540857137452011-07-02T07:27:51.079+04:002011-07-02T07:27:51.079+04:00चमक दमक से दूर
हमारी बस्ती है निर्जन
बहुत सुन्दर ...चमक दमक से दूर<br />हमारी बस्ती है निर्जन<br /><br />बहुत सुन्दर बात कही है आम आदमी के देनिक जीवन और रहन सहन के बावत। मन में बस गया ये नवगीत।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-39578636298108819382011-06-30T07:03:23.340+04:002011-06-30T07:03:23.340+04:00जो आया उसने धमकाया
हम शोषित ठहरे
राजमहल के द्वार, ...जो आया उसने धमकाया<br />हम शोषित ठहरे<br />राजमहल के द्वार, कंगूरे<br />सब निकले बहरे<br />करती रहीं पीढ़ियाँ फिर भी<br />झुक-झुक अभिनंदन<br />हम पलाश के वन <br /> बहुत सुन्दर नवगीत <br />saader<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-24840083194412338862011-06-28T13:28:55.781+04:002011-06-28T13:28:55.781+04:00धारा के प्रतिकूल चले हम
जिद्दीपन पाया
ऋतु वसंत में...धारा के प्रतिकूल चले हम<br />जिद्दीपन पाया<br />ऋतु वसंत में नहीं<br />ताप में पुलक उठी काया<br />चमक दमक से दूर<br />हमारी बस्ती है निर्जन<br />हम पलाश के वन<br /><br />बहुत खूब. सशक्त नवगीत हेतु बधाई.दिव्य नर्मदा divya narmadahttps://www.blogger.com/profile/17701696754825195443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-45519311734546022372011-06-27T17:04:30.692+04:002011-06-27T17:04:30.692+04:00नवगीत की पाठशाला पर बहुत अच्छे नवगीत आजकल पढने को ...नवगीत की पाठशाला पर बहुत अच्छे नवगीत आजकल पढने को मिल रहे हैं। डा० व्योम का नवगीत बहुत समय के बाद दिखाई दे रहा है, लय, तुक, भाव कथ्य सब दुरुस्त है, पलाश जैसे अभीशापित झाड़ पर इतना सुन्दर नवगीत लिखने के लिये व्योम जी को बहुत बहुत वधाई।त्रिलोक सिंह ठकुरेलाhttps://www.blogger.com/profile/14119873269622838948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-17433589011582114812011-06-27T16:54:55.301+04:002011-06-27T16:54:55.301+04:00तीन पात से बढ़े न आगे
कितने युग बीते
अभिशापित हैं ...तीन पात से बढ़े न आगे<br />कितने युग बीते<br />अभिशापित हैं जनम-जनम से<br />हाथ रहे रीते<br /><br />ढाक के तीन पात मुहावरे का बहुत सटीक प्रयोग किया गया है इस नवगीत में। सर्वहारा वर्ग भी जीवन भर मेहनत करने के बाद वैसा का वैसा ही रहता है यानी ढाक के तीन पात...... बहुत सुन्दर नवगीत के लिये डा० व्योम जी को वधाई।डा० एम०पी० सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08496838106858772325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-63483407307185356262011-06-27T16:53:33.879+04:002011-06-27T16:53:33.879+04:00जो आया उसने धमकाया
हम शोषित ठहरे
बहुत मारक बात कही...जो आया उसने धमकाया<br />हम शोषित ठहरे<br />बहुत मारक बात कही है इस नवगीत में, लय, तुक सब कुछ गज़ब का माकूल है।sumanhttps://www.blogger.com/profile/04849595096452083555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-91066303606443132662011-06-27T16:46:34.691+04:002011-06-27T16:46:34.691+04:00ढाक के तीन पात मुहावरे का बहुत सटीक प्रयोग किया गय...ढाक के तीन पात मुहावरे का बहुत सटीक प्रयोग किया गया है इस नवगीत में। सर्वहारा वर्ग भी जीवन भर मेहनत करने के बाद वैसा का वैसा ही रहता है यानी ढाक के तीन पात...... बहुत सुन्दर नवगीत के लिये डा० व्योम जी को वधाई। <br /><br />डा० एम०पी० सिंहडा० एम०पी० सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08496838106858772325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-53145713802259820122011-06-27T08:29:39.211+04:002011-06-27T08:29:39.211+04:00अभिशापित पलाश की व्यथा-
बहुत ख़ूबसूरत रचना है व्यो...अभिशापित पलाश की व्यथा- <br />बहुत ख़ूबसूरत रचना है व्योम जी.sharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-92093778510023951292011-06-26T08:21:47.001+04:002011-06-26T08:21:47.001+04:00बहुत सुंदर नवगीत है व्योम जी का। हार्दिक बधाई उन्ह...बहुत सुंदर नवगीत है व्योम जी का। हार्दिक बधाई उन्हें इस नवगीत के लिए।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.com