tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post7725410615443111024..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: १२. रे सूरज तू चलते रहनानवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-70005939194819443802012-02-01T05:49:09.252+04:002012-02-01T05:49:09.252+04:00धन्यवाद प्रभुदयाल जी |धन्यवाद प्रभुदयाल जी |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-7999153644504158232012-02-01T05:48:14.886+04:002012-02-01T05:48:14.886+04:00विमल कुमार जी ,
हार्दिक धन्यवाद |विमल कुमार जी ,<br /><br />हार्दिक धन्यवाद |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-32116428100275456492012-02-01T05:47:25.167+04:002012-02-01T05:47:25.167+04:00बहुत -बहुत धन्यवाद संजीव जी |
सादरबहुत -बहुत धन्यवाद संजीव जी |<br /><br />सादरशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-62717786099117177902012-01-30T10:13:26.078+04:002012-01-30T10:13:26.078+04:00Accha navgeet .Badhai shashi padhaji.
Prabhudayal...Accha navgeet .Badhai shashi padhaji.<br /> PrabhudayalPrabhudayal Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/09846234779190617801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-34890077597563745952012-01-28T08:17:03.934+04:002012-01-28T08:17:03.934+04:00अम्बर की गलियों में कब से, राहू-केतु घूम रहे
अँधिय...अम्बर की गलियों में कब से, राहू-केतु घूम रहे<br />अँधियारे की चादर ओढ़े, काले मेघा झूम रहे<br />किरणों की थामे कंदीलें,नभ गँगा में तरते रहना<br />ज्योतिर्मय तू चलते रहना<br />सुन्दर पंक्तियाँ शशि पाधा जी को बहुत बहुत बधाई <br />धन्यवाद <br />विमल कुमार हेडाविमल कुमार हेडाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-30157068307067273572012-01-28T06:38:54.635+04:002012-01-28T06:38:54.635+04:00युगों- युगों के तापस तुम संग
ताप तपस्या मैं तप लूँ...युगों- युगों के तापस तुम संग<br />ताप तपस्या मैं तप लूँगी<br />माघ-पोष की ठिठुरन बैरिन<br />आस तेरी में मैं सह लूँगी<br />जानूँ तुम फाल्गुन के आते<br />भेजोगे वासन्ती गहना<br />तू जाने, तुझसे क्या कहना <br /><br />शशि ने की रवि वंदना, मिला अमित आनंद.<br />वासंती गहना ल्पहन पहन, रचें नित्य नव छंद..Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-54106780406715677332012-01-27T23:12:27.803+04:002012-01-27T23:12:27.803+04:00शारदा जी,
आपाका हार्दिक धन्यवाद |
शशि पाधाशारदा जी,<br />आपाका हार्दिक धन्यवाद |<br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-18930448337718709502012-01-27T23:11:38.420+04:002012-01-27T23:11:38.420+04:00आदरणीय कुमार रवीन्द्र जी,
आपके द्वारा लिखे शब्द ...आदरणीय कुमार रवीन्द्र जी,<br /><br />आपके द्वारा लिखे शब्द मुझे सदैव प्रेरणा देते रहेंगे | मैं गीत और नवगीत के बीच की क्षीण रेखा को समझने का प्रयत्न कर रही हूँ और अपने बिम्ब, उपमान लोक संस्कृति तथा आंचलिक परिवेश में ढूँढती रहती हूँ | नवगीत की पाठशाला से जुड़ कर ही नवगीत लिखने लगी , पहले गीत ही लिखती थी | प्रेरणा का संबल साथ रहे , इन्हीं शुभ कामनायों के साथ ,<br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-11849576160244818462012-01-27T22:59:56.612+04:002012-01-27T22:59:56.612+04:00उत्तम जी,
हार्दिक धन्यवाद स्वीकारें |
शशि पाधाउत्तम जी,<br /><br />हार्दिक धन्यवाद स्वीकारें |<br /><br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-59438278054373974412012-01-27T22:58:17.062+04:002012-01-27T22:58:17.062+04:00कल्पना जी,
आपने गीत को पढ़ा और सराहा, धन्यवाद |कल्पना जी,<br /><br />आपने गीत को पढ़ा और सराहा, धन्यवाद |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-66422158148434305062012-01-27T22:57:18.448+04:002012-01-27T22:57:18.448+04:00धर्मेन्द्र जी,
गीत पसंद आया, धन्यवाद |धर्मेन्द्र जी,<br />गीत पसंद आया, धन्यवाद |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-10571974103000496772012-01-27T21:00:10.103+04:002012-01-27T21:00:10.103+04:00बहुत सुंदर नवगीत. बधाई.बहुत सुंदर नवगीत. बधाई.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-86980046187523732402012-01-27T14:05:36.160+04:002012-01-27T14:05:36.160+04:00बहुत सुंदर. बहुत.बहुत सुंदर. बहुत.sharda monga (aroma)https://www.blogger.com/profile/02838238451888739255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-79556158856363783872012-01-27T08:20:33.601+04:002012-01-27T08:20:33.601+04:00प्रिय शशि पाधा जी,
एक श्रेष्ठ गीत के लिए मेरा हार...प्रिय शशि पाधा जी, <br />एक श्रेष्ठ गीत के लिए मेरा हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद स्वीकारें| कुछ अछूते सन्दर्भ एवं बिम्ब इस गीत में प्रस्तुत हुए हैं, जो इसे नवगीत की भंगिमा देते हैं| कुछ पंक्तियाँ विशेष रुचीं, यथा - <br /> अम्बर की गलियों में कब से <br /> राहू-केतु घूम रहे <br /> अँधियारे की चादर ओढ़े <br /> काले मेघा झूम रहे <br /> किरणों की थामे कंदीलें <br /> नभ गँगा में तरते रहना <br /> ज्योतिर्मय तू चलते रहनाKumar Ravindrahttps://www.blogger.com/profile/11831047873400154921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-1685120942271355772012-01-26T19:54:41.040+04:002012-01-26T19:54:41.040+04:00शशि पाधा जी को सुंदर नवगीत के लिए बधाई!शशि पाधा जी को सुंदर नवगीत के लिए बधाई!उत्तम द्विवेदीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-17473964712683147282012-01-26T19:32:09.921+04:002012-01-26T19:32:09.921+04:00अति सुंदर शब्दों से सजा हुआ अति सुंदर गीत! बधाई शश...अति सुंदर शब्दों से सजा हुआ अति सुंदर गीत! बधाई शशि जी!कल्पना रामानीhttps://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-89991825368702538312012-01-26T13:54:39.242+04:002012-01-26T13:54:39.242+04:00इस सुंदर नवगीत के लिए शशि पाधा जी को बहुत बहुत बधा...इस सुंदर नवगीत के लिए शशि पाधा जी को बहुत बहुत बधाई।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.com