tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post8712732183408069835..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ७. अनुबंध लिखूँनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-39555044543233810512011-03-17T09:15:36.199+04:002011-03-17T09:15:36.199+04:00भाई रामस्वरूप ’सिंदूर’ की सेंदूरी व गीतमय अनुबंध न...भाई रामस्वरूप ’सिंदूर’ की सेंदूरी व गीतमय अनुबंध निःसंदेह श्लाघनीय है। नवगीत में उनकी इस धमाकेदार उपस्थिति का हम तहेदिल से स्वागत करते है।mandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-14339960639755198612011-03-09T16:23:58.172+04:002011-03-09T16:23:58.172+04:00अमित और नवीन जी आपने ठीक कहा फिर दो बार होना चाहिय...अमित और नवीन जी आपने ठीक कहा फिर दो बार होना चाहिये था। टंकण की गलती के लिये क्षमा चाहती हूँ। आप सबने स्नेह से पढ़ा ध्यान से याद दिलाया,आभारी हूँ।<br />-पूर्णिम वर्मननवगीत की पाठशालाhttps://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-48974592560236203502011-03-09T15:36:17.933+04:002011-03-09T15:36:17.933+04:00राम स्वरूप सिंदूर जी का यह गीत पहले सुना पढ़ा हुआ ...राम स्वरूप सिंदूर जी का यह गीत पहले सुना पढ़ा हुआ है पर फागुन के मौसम का रंग जमाने में इसकी मिसाल नहीं। यहाँ देखकर प्रसन्नता हुई।suruchihttps://www.blogger.com/profile/17510455285961103373noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-2123329952125341452011-03-09T15:29:31.634+04:002011-03-09T15:29:31.634+04:00ATI UTTAM PRASTUTI..KAVI KO HARDIK BADHAI./..ATI UTTAM PRASTUTI..KAVI KO HARDIK BADHAI./..Ajit Pal Singh Daiahttps://www.blogger.com/profile/10366805660526613111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-74717167583004101232011-03-09T12:21:00.890+04:002011-03-09T12:21:00.890+04:00अहहाहा क्या नवगीत है, ज़मीन से जुड़ा, मिट्टी की सौ...अहहाहा क्या नवगीत है, ज़मीन से जुड़ा, मिट्टी की सौंधी सुगंध वाला, पाठक से सीधा तारतम्य स्थापित करता हुआ नवगीत| भाई राम स्वरूप सिंदूर जी की लेखनी को सादर नमन|<br /><br />पूर्णिमा जी:- <br />इस पंक्ति में २ मात्रा वाला कोई शब्द टाइप होने से रह गया है| कृपया सुधार करने की कृपा करें:-<br />देह मुक्ति चाहे फिर रसबंध लिखूँwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-84701464397188352892011-03-08T20:23:29.936+04:002011-03-08T20:23:29.936+04:00बहुत ही सुन्दर नवगीत है! मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर। ...बहुत ही सुन्दर नवगीत है! मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर। इसकी सुगेयता प्रभावित करती है। मुझे लगता है दूसरे बन्द में ’देह मुक्ति चाहे ... में ’से’ छूट गया है टाइप होने से। इसी प्रकार अन्तिम बन्द में ’कल्पित संकल्पित पल में, में प्रवाह भंग लग रहा है। हो सकता है मेरे पढ़ने के ढंग में ही कोई त्रुटि हो। पुनः अच्छे नवगीत के लिये रचनाकार को बधाई!<br />सादरअमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-77548388447826145462011-03-08T12:12:54.740+04:002011-03-08T12:12:54.740+04:00वाह वाह, गीत को देखकर ही लगता है कि सिद्धहस्त नवगी...वाह वाह, गीत को देखकर ही लगता है कि सिद्धहस्त नवगीतकार द्वारा लिखा गया है। बहुत बहुत बधाई‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-8836371820884091302011-03-08T09:16:20.694+04:002011-03-08T09:16:20.694+04:00रामस्वरूप सिंदूर जानेमाने नवगीतकार हैं। लेकिन वेब ...रामस्वरूप सिंदूर जानेमाने नवगीतकार हैं। लेकिन वेब पर उनके बहुत ही कम नवगीत आ पाए हैं। अनुभूति में उनके पाँच नवगीत इसी अंक में देखकर प्रसन्नता हुई थी। यहाँ भी उन्हें देखना सुखद है। इस रसमय नवगीत को प्रस्तुत करने के लिये हार्दिक आभार !विनीता का चिट्ठाhttps://www.blogger.com/profile/10089696708728410209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-81506186487650170912011-03-08T00:09:27.764+04:002011-03-08T00:09:27.764+04:00bahut sunder geet likha hai
badhai
rachanabahut sunder geet likha hai<br />badhai<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-4180580257981274602011-03-07T12:45:06.474+04:002011-03-07T12:45:06.474+04:00गीत गीत हो जाऊँ ऐसा छंद लिखूँ ...
आहा... नमन....गीत गीत हो जाऊँ ऐसा छंद लिखूँ ...<br /><br />आहा... नमन....गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-47646989704106659672011-03-07T09:24:32.975+04:002011-03-07T09:24:32.975+04:00"मन करता फिर कोई अनुबंध लिखूं / गीत गीत हो जा..."मन करता फिर कोई अनुबंध लिखूं / गीत गीत हो जाऊं ऐसा छन्द लिखूं"- बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. आप दोनों को बधाई.अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.com