tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post9045601711049236777..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ३- एक गाँव में देखा मैंनेनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-73434850702599354202009-07-21T13:18:24.614+04:002009-07-21T13:18:24.614+04:00इस सुन्दर रचना हेतु टिप्पणि पहले ही ब्लॉग पर दे चु...इस सुन्दर रचना हेतु टिप्पणि पहले ही ब्लॉग पर दे चुका हूँ. एक सुन्दर और प्रभावी रचना है. नव गीत है या नहीं विशेषज्ञ जानें.hempandeyhttp://www.shakunaakhar.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-66638578763486617642009-07-19T23:43:23.039+04:002009-07-19T23:43:23.039+04:00यह गीत अच्छा है पर पहले भी पढ़ा है पर तब भी पसंद आय...यह गीत अच्छा है पर पहले भी पढ़ा है पर तब भी पसंद आया था बधाईkarunahttps://www.blogger.com/profile/00236472279067082613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-63776948610738219522009-07-17T21:09:16.138+04:002009-07-17T21:09:16.138+04:00नवगीत पहले पढा था
तब भी
बहुत पसँद आया था -
- लाव...नवगीत पहले पढा था <br />तब भी <br />बहुत पसँद आया था -<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-59220216078925483222009-07-17T16:28:25.710+04:002009-07-17T16:28:25.710+04:00जैसे ही यह गीत रचा गया, मन ने कहा कि इसे अपने ब्ल...जैसे ही यह गीत रचा गया, मन ने कहा कि इसे अपने ब्लाग पर भी लगा दो, बस लगा दिया। यदि नियम के अनुसार यह गलत है तो क्षमा चाहती हूँ, भविष्य में ध्यान रखा जाएगा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-75211397134630171662009-07-16T13:34:13.809+04:002009-07-16T13:34:13.809+04:00एक अद्भुत गीत....कुछ लाजवाब काफ़ियों ने गज़ब की सुं...एक अद्भुत गीत....कुछ लाजवाब काफ़ियों ने गज़ब की सुंदरता ला दी है गीत में।<br /><br />वैसे ऊपर एक अनाम टिप्पणी में कही गयी बात कि ये गीत पहले ही किसी ब्लौग पर आ चुका है और इससे पहले भी एक गीत पर ये बात हो चुकी थी.....पाठक यकीनन जानना चाहेंगे पूरी बात!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-88069181649552678782009-07-16T01:10:59.137+04:002009-07-16T01:10:59.137+04:00लोकतत्व तथा आँचलिक शब्दों से समाहित यह रचना पाठक ...लोकतत्व तथा आँचलिक शब्दों से समाहित यह रचना पाठक को सच्चे सुख की पहचान कराती है ।<br />धन्यवाद सुन्दर नवगीत के लिये। <br /><br />शशि पाधाशशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-51969083706236089132009-07-15T18:03:30.848+04:002009-07-15T18:03:30.848+04:00कथ्य और लय की दृष्टि से उत्तम इस गीत में भाषा की स...कथ्य और लय की दृष्टि से उत्तम इस गीत में भाषा की सहजता देखते ही बनती है।सरल भाषा में कठिन बात कह देना सचमुच बहुत मुश्किल होता है जो इस गीतकार से सीखना चाहियेकटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-13931214036101637212009-07-14T06:30:58.141+04:002009-07-14T06:30:58.141+04:00अच्छी रचना है। मुझे तो कोई कमी नहीं दिख रही है। ज्...अच्छी रचना है। मुझे तो कोई कमी नहीं दिख रही है। ज्ञानी लोग ही बता पायेंगे। मुझे अच्छा लगा।<br />रचनाकार को बधाई हो।निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्डhttps://www.blogger.com/profile/00687131788304321412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-36393343960886889382009-07-13T19:25:44.794+04:002009-07-13T19:25:44.794+04:00geet to bahut achchha hai nai soch hai naye shbd h...geet to bahut achchha hai nai soch hai naye shbd hai naye bimb bhi hai yahi to geet ko sunder banate hain .isi liye ye sunder hain .baki to mujhe kyada pata nahi hai <br />mujhe bahut achchha laga <br />saader<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-11431176242081205932009-07-13T18:46:41.965+04:002009-07-13T18:46:41.965+04:00mere vichar se Mathia ka arth "FORHEAD" ...mere vichar se Mathia ka arth "FORHEAD" (matha) se hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-89469789427318647482009-07-13T16:40:27.742+04:002009-07-13T16:40:27.742+04:00अदभुत सम्वेदनशीलता भरा ये गीत सुविधा से परे सन्तोष...अदभुत सम्वेदनशीलता भरा ये गीत सुविधा से परे सन्तोष की महिमा का गान करता है. <br />मैंने पूछा कैसे जीते<br />वो बोला सुख हैं सारे<br />बस कपड़े की इक जोड़ी है <br />एक समय की रोटी है <br />ये बहुत पसन्द आया. <br />आत्म प्रकाश शुक्ल लिख्ते है - <br />कोई राज भवन मे़ रोए, कोई पर्ण कुटी मे़ सोये<br />सुख ना रज भवन मे़ है ना पर्ण कुटी मे़ है वो केवल सन्तोष मे़ है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-67608907365653738322009-07-13T11:27:26.871+04:002009-07-13T11:27:26.871+04:00ye geet to pahale hi http://ajit09.blogspot.com/ p...ye geet to pahale hi http://ajit09.blogspot.com/ par prakashit ho chukaa hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-89660021437477923252009-07-13T08:05:12.979+04:002009-07-13T08:05:12.979+04:00रचना की शास्त्रीयता के विषय में तो विशेषज्ञ राय दे...रचना की शास्त्रीयता के विषय में तो विशेषज्ञ राय देंगे ही मुझे अपनी दृष्टि रचना अच्छी लगी। ’सन्तोषम् परमम् सुखम्’ और सम्पन्नता के विरोधाभासों को रेखांकित करती हुई। <br /><b>एक ओढ़नी पहने धरणी<br />बरखा टपके कुटिया पर<br /><br />दुख कितना मेरे जीवन में<br />खोज रही थी मथिया पर</b><br />बधाई!<br />मथिया शब्द से अनभिज्ञ हूँ। अर्थ जानना चाहूँगा।अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.com