tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post9190171315886264282..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ५. पैसा रहा हाथ में तो फिर हर दिन उत्सव हैनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-77984411401534039692011-10-12T09:48:58.089+04:002011-10-12T09:48:58.089+04:00सलिलजी ,व्योमजी डा मीना अग्रवालजी रचनाजी एवं सज्जन...सलिलजी ,व्योमजी डा मीना अग्रवालजी रचनाजी एवं सज्जनजी टिप्पणी के लिये बहुत धन्यवाद <br /> प्रभुदयाल छिंदवाड़ाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-73659862474845347542011-10-03T19:50:59.676+04:002011-10-03T19:50:59.676+04:00घर घर में अब होड़ लगी है
दौड़ लगाने की
जैसे भी हो कि...घर घर में अब होड़ लगी है<br />दौड़ लगाने की<br />जैसे भी हो किसी तरह से<br />सब कुछ पाने की<br />इसी चाह ने रिश्तों मित्रों<br />से नाता तोड़ा<br />झूठ दिखावे से निर्मित<br />छल का मुखड़ा ओढ़ा<br />किसी तरह भी उल्लासित हो<br />आनंदित रहिये|<br /> सुन्दर नवगीत के लिये बहुत बहुत वधाई <br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-76045521795535069852011-10-03T14:59:20.893+04:002011-10-03T14:59:20.893+04:00अपनी माटी से जुड़ा आम आदमी के मन की बात कहता सुंदर...अपनी माटी से जुड़ा आम आदमी के मन की बात कहता सुंदर,सलोना गीत. बहुत-बहुत बधाई.<br /><br />मीना अग्रवालडा.मीना अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/10411559782145200692noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-12304208882142031992011-10-03T14:54:04.830+04:002011-10-03T14:54:04.830+04:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.डा.मीना अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/10411559782145200692noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-35495071255767559402011-10-02T13:24:17.874+04:002011-10-02T13:24:17.874+04:00बहुत सुंदर नवगीत है ये प्रभुदयाल जी का, उन्हें बहु...बहुत सुंदर नवगीत है ये प्रभुदयाल जी का, उन्हें बहुत बहुत बधाई इस सुंदर नवगीत के लिए‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-70816719850061067912011-10-02T09:40:20.495+04:002011-10-02T09:40:20.495+04:00शिल्प और कथ्य दोनों की दृष्टि से बहुत सुन्दर नवगी...शिल्प और कथ्य दोनों की दृष्टि से बहुत सुन्दर नवगीत है। आम आदमी के दैनिक जीवन की कई विद्रूपताओं को नवगीत में प्रस्तुत किया गया है, वधाई प्रभूदयाल जी को बहुत सुन्दर नवगीत के लिये।<br /><br />डा० व्योमडा० व्योमhttp://www.navgeet.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-83984160461782917622011-10-02T06:53:22.321+04:002011-10-02T06:53:22.321+04:00झोपड़ियों में जिस दिन भी
चूल्हा जल जाता है
मानो उस ...झोपड़ियों में जिस दिन भी<br />चूल्हा जल जाता है<br />मानो उस दिन बहुत बड़ा<br />उत्सव हो जाता है<br /><br />सामाजिक विरोधाभासों को इंगित करती पंक्तियाँ मन छू गयीं.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.com