tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post1174064036468046535..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: १४. मन की महक मिलाएँ : धर्मेंद्रकुमार सिंह सज्जननवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-17082016131829819872010-11-25T21:52:24.279+04:002010-11-25T21:52:24.279+04:00uttam rachna. samyik kathya.uttam rachna. samyik kathya.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-50732360729556052092010-11-15T08:50:28.969+04:002010-11-15T08:50:28.969+04:00मंदिर मस्जिद जो भी टूटा
टूटीं भारत माँ ही
चाहे जिस...मंदिर मस्जिद जो भी टूटा<br />टूटीं भारत माँ ही<br />चाहे जिसका सर फूटा हो<br />रोई तो ममता ही<br />मंदिर एक हाथ से दूजे से मस्जिद बनवाएँ<br />अब तक लहू बहाया हमने अब मिल स्वेद बहाएँ<br />--<br />धर्मेंद्रकुमार सिंह सज्जन जी हार्दिक बधाई।mandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-3500055301494696602010-11-14T21:03:10.602+04:002010-11-14T21:03:10.602+04:00बेघर करके बेचारों को चली जाती बरसात
दबे पांव जाड़ा ...बेघर करके बेचारों को चली जाती बरसात<br />दबे पांव जाड़ा आता है करने उन पर घात। <br /><br />सुन्दर अभिव्यक्ति। बहुत बहुत बधाई।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-40245650603530621142010-11-13T20:40:49.128+04:002010-11-13T20:40:49.128+04:00मंदिर मस्जिद जो भी टूटा
टूटीं भारत माँ ही
चाहे जिस...मंदिर मस्जिद जो भी टूटा<br />टूटीं भारत माँ ही<br />चाहे जिसका सर फूटा हो<br />रोई तो ममता ही<br />मंदिर एक हाथ से दूजे से मस्जिद बनवाएँ<br />अब तक लहू बहाया हमने अब मिल स्वेद बहाएँ<br /><br />सज्जन जी साधुवाद। बहुत अच्छा लिखा है।आकुलhttps://www.blogger.com/profile/14932213967425336949noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-39593118283366537042010-11-13T08:31:03.842+04:002010-11-13T08:31:03.842+04:00भारत माँ का घर जर्जर है सब मिल पुनः बनाएँ
सेवा के ...भारत माँ का घर जर्जर है सब मिल पुनः बनाएँ<br />सेवा के कुछ फूलों में हम मन की महक मिलाएँ<br />सुन्दर सन्देश देती कविता के लिये धर्मेन्द्र कुमार जी को बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com