tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post3824041328212157422..comments2024-03-23T00:12:37.328+04:00Comments on नवगीत की पाठशाला: ०२ : फूला फूल कमल का : रावेंद्रकुमार रविनवगीत की पाठशालाhttp://www.blogger.com/profile/03110874292991767614noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-8883667619724560102010-07-29T16:30:43.254+04:002010-07-29T16:30:43.254+04:00मस्ती-भरी हवा चलती है
मधु सौरभ की
ओढ़ उढ़निया!
वसु...मस्ती-भरी हवा चलती है<br />मधु सौरभ की<br />ओढ़ उढ़निया!<br />वसुधा के आँचल को<br />मह-महकर महकाया!<br />फूला फूल ... ... .<br />एक सुरूचिपूर्ण व प्रवाहपूर्ण अभिव्यक्ति <br />बधाई।mandalsshttps://www.blogger.com/profile/18435280180094938316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-3215384001332854242010-07-15T13:54:32.009+04:002010-07-15T13:54:32.009+04:00बहुत सुन्दर रचना....बहुत सुन्दर रचना....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-19251933666267809422010-07-13T10:59:17.157+04:002010-07-13T10:59:17.157+04:00पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ और लगता है कि बहुत शा...पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ और लगता है कि बहुत शानदार काम हो रहा है। बधाई। पाठकों की टिप्पणियों में सीखने योग्य बहुत कुछ है। नवगीत के पक्ष में किये जा रहे इस प्रयास को मेरी शुभकामनाएँ।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05739041475903816107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-6757467827807365132010-07-12T15:28:46.029+04:002010-07-12T15:28:46.029+04:00मधुर फुहारों ने कुछ
गाकर हमें सुनाया!
फूला फूल कमल...मधुर फुहारों ने कुछ<br />गाकर हमें सुनाया!<br />फूला फूल कमल का<br />मन में ख़ुशियाँ लाया!<br /><br /><br /><br /><br />मधु सौरभ की<br />ओढ़ उढ़निया!<br />वसुधा के आँचल को<br />मह-महकर महकाया!<br /><br /><br />सुंदर....मन-मोहक....<br /><br />बधाई स्वीकार करें रवि जी |गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-29788117840954729882010-07-12T14:44:50.490+04:002010-07-12T14:44:50.490+04:00गीत और नवगीत में वही अन्तर है जो युवक और नवयुवक मे...गीत और नवगीत में वही अन्तर है जो युवक और नवयुवक में।कटारेhttps://www.blogger.com/profile/15644985829200000634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-10273871969864434092010-07-12T09:55:36.618+04:002010-07-12T09:55:36.618+04:00यहाँ मैं मुक्ता जी की बात का समर्थन करूँगी कि रचना...यहाँ मैं मुक्ता जी की बात का समर्थन करूँगी कि रचना में हर ओर नवीनता दिखाई पड़े वह आवश्यक नहीं है। शिल्प, बिंब, कथ्य कहीं भी नवीनता ला सकें तो रचना को नवगीत कहा जा सकता है। पाठशाला में प्रयत्न यह होना चाहिये कि हम अधिक से अधिक नवीनता की ओर अग्रसर हों। इस संदर्भ में सुरुचि का कथ्य भी महत्त्वपूर्ण है। कहाँ पर कितनी और कैसी नवीनता उभरकर आती है उस पर नियंत्रण रखना बहुत अभ्यास माँगता है। पाठशाला में हम इसी अभ्यास का अवसर देते हैं, ताकि सदस्य अपने कथ्य शिल्प और बिम्बों पर तरह तरह के प्रयोग कर उन्हें निखार सकें। ये प्रयोग कभी कभी बहुत सार्थक बन पड़ते है तो कभी उतने सार्थक नहीं भी होते। महत्त्वपूर्ण यह है कि हम प्रयत्न न छोड़ें और काव्य की इस पारंपरिक विधा को नित नवीन करते रहें।पूर्णिमा वर्मनhttps://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-3038357610098800962010-07-12T08:15:01.423+04:002010-07-12T08:15:01.423+04:00तालाबों में कमल-कुंज हैं
कमल-कुंज में
है अलि-गुंजन...तालाबों में कमल-कुंज हैं<br />कमल-कुंज में<br />है अलि-गुंजन!<br />बरखा के मौसम में<br />गाँव-गाँव हरियाया!<br />फूला फूल ... ... .<br />पूरा ही गीत अच्छा लगा, परन्तु रविन्द्र कुमार रवि जी की ये पक्तियाँ बहुत अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई <br />धन्यवाद।<br /><br />विमल कुमार हेड़ा।विमल कुमार हेड़ाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-67751942312289020292010-07-12T07:26:07.742+04:002010-07-12T07:26:07.742+04:00माफ करें मुझे तो यह गीत कमल के स्थान पर बरखा गीत ज...माफ करें मुझे तो यह गीत कमल के स्थान पर बरखा गीत ज्यादा लगा. नवीनता के दर्शन लगभग न के बराबर ही रहे. हम आज भी पुराने उपकरणो से संचालित क्यों हो रहे हैं. हमारा खान-पान, रहन- सहन, काम-काज, सब कुछ तो बदल चुका है.संजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/00532701630756687682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-6764232211914398972010-07-12T01:01:29.727+04:002010-07-12T01:01:29.727+04:00बढ़िया नवगीत रावेन्द्रकुमार रवि जी,
ज़रूर कथ्य क...बढ़िया नवगीत रावेन्द्रकुमार रवि जी, <br /><br />ज़रूर कथ्य की ओर इस नवगीत में कवि का आग्रह नहीं रहा है लेकिन वे पहले कुछ बहुत सार्थक नवगीत प्रस्तुत कर चुके हैं। "मधु सौरभ की ओढ़ ओढ़निया" बहुत अच्छा प्रयोग है। शिल्प नया हो तो पाठक जल्दी से खुश हो जाते हैं क्यों कि शिल्प काव्य के वस्त्र हैं। कथ्य आत्मा है, उसकी ओर ध्यान बाद में जाता है। यह स्वाभाविक ही है। इस मनभावन गीत के लिये बधाई!suruchihttps://www.blogger.com/profile/17510455285961103373noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-54553222747234544102010-07-12T00:23:24.175+04:002010-07-12T00:23:24.175+04:00रवि जी, आपकी और सुभाष जी की रचनाएँ पहले भी अनुभूति...रवि जी, आपकी और सुभाष जी की रचनाएँ पहले भी अनुभूति पर देखकर आनंदित हो चुकी हूँ। यहाँ पुनः पढ़कर और भी अच्छा लगा। <br /><br />नवगीत में कितना नया हो, क्या नया हो और कैसे नया हो इसकी खोज रचनाकार को ही करनी होती है। यह उसके स्वभाव, जानकारी और रचनाकर्म के समय की मनःस्थिति पर भी निर्भर करता है कि गीत किस दिशा में ढल जाए या ढाला जाए। यह आवश्यक नहीं कि कथ्य, शिल्प, बिंब सबमें सबकुछ नया ही हो। कुछ न कुछ नया, रसमय और जीवन को छू लेने वाला हो तो मेरे विचार से उसको नवगीत कहा जाना चाहिये। एक सरस और मनभावन रचना के लिये बधाई!!विनीता का चिट्ठाhttps://www.blogger.com/profile/10089696708728410209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-14830714455371945352010-07-11T22:16:58.395+04:002010-07-11T22:16:58.395+04:00रवि जी, एक प्रवहमान गीति रचना से मन को स्पन्दित कर...रवि जी, एक प्रवहमान गीति रचना से मन को स्पन्दित करने के लिये बधाई पर क्या नवगीत का नव केवल उसकी तकनीक या कहने की शैली में ही होता है या फिर कथ्य में भी? तालाब में कमल, कमल पर अलि, बरखा के मौसम में गांव और खेत का सरसना और ऐसे में मस्ती का आलम तो युग-युगों से देखा, सुना और पढा जाता रहा है। इस सुन्दर रचना में मैं कथ्य का नव तलाशता रहा पर कुछ हाथ नहीं आया। Subhash Raihttps://www.blogger.com/profile/15292076446759853216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-34245848217234109112010-07-11T20:38:34.059+04:002010-07-11T20:38:34.059+04:00बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता.बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-45154037293299478392010-07-11T20:10:55.474+04:002010-07-11T20:10:55.474+04:00नवगीत की मर्यादाओं पर खरी उतरती है यह रचना!नवगीत की मर्यादाओं पर खरी उतरती है यह रचना!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-10739278623659997092010-07-11T18:59:58.349+04:002010-07-11T18:59:58.349+04:00बधाई, कमाल का प्रवाह, कमाल का नवगीत।बधाई, कमाल का प्रवाह, कमाल का नवगीत।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-75635550760694026262010-07-11T18:47:42.354+04:002010-07-11T18:47:42.354+04:00sundar prastuti..sundar prastuti..Anamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8772772482860068162.post-68646251572433066242010-07-11T18:29:07.222+04:002010-07-11T18:29:07.222+04:00बहुत सुन्दर रचना ..
बेहद खूबसूरतबहुत सुन्दर रचना .. <br />बेहद खूबसूरतM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com