8 अक्तूबर 2010

२१. मेघ बरसे

काली घटाओं के साए
बादल फिर लहराए
सुशुप्त धरा के आँगन में
उमड़–घुमड़ मेघ बरसे

तरु के बल कारवट लेती
पुष्पमुख मुस्कुराती
सरोज सरोवर में अँगड़ाई लेकर
नदिया–का आँचल लहराती
मौन सिंदूरी के आँगन में
उमड़–घुमड़ मेघ बरसे

हरियाली का वस्त्र पहन
स्वर्ण मौक्तिक शृंगार किया
विहंगम कलरव के साज पर
ऋतु आरंभ का उत्सव किया
आभूषित बाला के आँगन में
उमड़–घुमड़ मेघ बरसे
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हेमेंद्र जर्मा

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