मानव आज दानव है बना,
दानव की भाषा बोल रहा।
खेले गोली से फाग,
उजाड़ता है सुहाग।
टूटती हैं चूड़ियाँ
तरसती हैं राखियाँ।
मानव आज दानव है बना,
जहर आतंक का घोल रहा।
मासूमों को पता नहीं,
क्या है हमला आतंकी।
कितनों की जान जाती,
अपाहिज होती जिंदगी।
मानव आज दानव है बना,
इमान उसका है डोल रहा।
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मंजु गुप्ता
अच्छी है... मार्मिक है... चिंतित कर देने वाली है...
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