14 सितंबर 2010

०६. फिक्सिंग भी है बहुत ज़रूरी : रावेंद्रकुमार रवि

सिक्का तो उछालना ही है
हैड मिले या टेल
बरखा के पानी में हिलमिल
आओ, खेलें खेल

हार न जाएँ, हम इस डर से
ऐसा मेल बनाएँगे
हर हालत में प्रतिद्वंद्वी को
जो कर देगा फेल
फिक्सिंग भी है बहुत ज़रूरी
माल मिले या जेल

पाउच बना सजीला मनहर
माल भरेंगे घटिया
छूट बढ़ाकर, दाम घटाकर
इसे करेंगे सेल
गारंटी की बात न कोई
ग्राहक लेंगे झेल
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रावेंद्रकुमार रवि

6 टिप्‍पणियां:

  1. यह तो सुन्दर समसामायिक हास्य व्यंग्य की रचना हो गई। बधाई।

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  2. बारिश के मौसम में होता नहीं ठीक से खेल।
    बरखा के पानी में हिलमिल कैसे खेलें खेल?

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  3. मैच फिक्सिंग के खेल में
    हैड मिला न टेल.

    जम सका नहीं खेल
    हुआ मामला फेल.

    बरखा तो क्या खिली
    मिलेगी काली जेल!

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  4. अभिनव कथ्य को समाहित करने का प्रयास स्वागतेय है.

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  5. पाउच बना सजीला मनहर
    माल भरेंगे घटिया
    छूट बढ़ाकर, दाम घटाकर
    इसे करेंगे सेल
    गारंटी की बात न कोई
    ग्राहक लेंगे झेल

    बिल्कुल सही ऐसा ही हो रहा है आजकल| सुन्दर नवगीत|

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  6. सम सामयिकी से सराबोर एक अभिनव प्रयास
    भाई बधाई

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