
मन पे धन का बोझ थोपे
हर जगह व्यापार तारी
सत्य और ईमानदारी
के शेयर सब
पिट चुके हैं,
झूठ और षड्यंत्र अब
किश्तों में बँट कर
बिक रहे हैं
हर कोई सिक्का हुआ है,
माल का हिस्सा हुआ है
बाज़ के डैने
कबूतर तक पहुँच कर
रुक गए हैं,
आदमी इतने सरल हैं
खुद में ही
उलझे हुए हैं
आँख मूँदे चल रहे सब
जानते हैं छल रहे सब
वार्ता फिर भी है जारी
हर जगह व्यापार तारी
जनता हूँ ...
तुम नहीं लिख पाओगे
उसकी उदासी,
तुम समझ भी
पाए हो क्या बेकली
उसकी ज़रा सी ?
उसके मन की सुगबुगाहट
और मन की थरथराहट
लिख सको तो
यह ही लिख दो
हम बहुत कुछ
खो रहे हैं
आरियों की घरघराहट
सुन के पर्वत
रो रहे हैं
पर समाचारों में आया ...
सांसदों ने पौध रोपे
पर्वतों पर बर्फ बारी
हर जगह व्यापार तारी
-वीनस केसरी
(इलाहाबाद)
प्रतीकों के माध्यम से बहुत ही गहरी बात कह गए हैं| वीनस भाई नवगीत की दुनिया में आपका स्वागत है| सुन्दर नवगीत के लिए बधाई|
जवाब देंहटाएंपर समाचारों में आया ...
जवाब देंहटाएंसांसदों ने पौध रोपे
पर्वतों पर बर्फ बारी
हर जगह व्यापार तारी
सुन्दर. बधाई स्वीकारें.
वीनस भाई की कलम से निकला एक शानदार नवगीत, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंआपको पहली बार पढ़ा है यहाँ...एक सुखद अनुभव....
जवाब देंहटाएंबिम्ब बहुत अच्छे लगे...
सुंदर नवगीत के लियें वीनस जी....आपको बधाई... .
आभार और अभिनंदन आपका....
पाठशाला में यह नाम पहली बार देख रही हूँ लेकिन रचना से लगता है कि नवगीत में रुचि और समझ लेकर आए हैं, स्वागत!!
जवाब देंहटाएंइस नवगीत में बहुत से सरोकारों को स्वर मिला है- पूँजीवाद, व्यापारवाद, भ्रष्टाचार, संवदनहीनता, प्रकृति दोहन... बधाई वीनस केसरी !
जवाब देंहटाएंवीनस जी,
जवाब देंहटाएंयह बन्द विशेष लगा
जनता हूँ ...
तुम नहीं लिख पाओगे
उसकी उदासी,
तुम समझ भी
पाए हो क्या बेकली
उसकी ज़रा सी ?
उसके मन की सुगबुगाहट
और मन की थरथराहट
लिख सको तो
यह ही लिख दो
हम बहुत कुछ
खो रहे हैं
आरियों की घरघराहट
सुन के पर्वत
रो रहे हैं
पर समाचारों में आया ...
सांसदों ने पौध रोपे
पर्वतों पर बर्फ बारी
संवेदनाओं को सुन्दर ढंग से उकेरा है आपने
बधाई!
वीनस तुम नवगीत भी लिखते हो, पता नहीं था भाई| वाकई अच्छा प्रयास है और कई सारे प्रतिमानों को बखूबी पिरोया है इस नवगीत में| बधाई वीनस भाई|
जवाब देंहटाएंआरियों की घरघराहट वाला हिस्सा तो सर चढ़ के बोल रहा है बन्धु...............
सौभाग्यशाली हूँ की मेरे इस प्रथम नवगीत को आप सभी का स्नेह मिला
जवाब देंहटाएं@ नवीन जी - "प्रथम नवगीत" :)
-- वीनस केसरी