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ये है समाचार
- महेंद्र आर्य
(मुंबई)
पूरे कथ्य को नवगीत में ढाल सकें तो फिर बहुत अच्छा नवगीत बन सकता है।
जवाब देंहटाएंmedia par achchi tippni hai sir badhai ho aapko
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास| आप के पास कहन का भण्डार है| डा. व्योम जी की बातों पर गौर करना चाहिए|
जवाब देंहटाएंसमस्या पूर्ति मंच पर आप का स्वागत है:- http://samasyapoorti.blogspot.com
भाव सुंदर हैं मगर यह एक कविता ही है गीत जैसा प्रवाह नहीं है। रचनाकार को कथ्य के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंसमाचार उपस्थित, नवगीत अनुपस्थित.
जवाब देंहटाएंभाव बहुत सुंदर हैं...
जवाब देंहटाएंबधाई महेंद्र जी..
मित्रों की टिप्पणियां सर माथे ! भविष्य में नव-गीत ही प्रस्तुत करूंगा ! आभार !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावभरी रचना!
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र जी का स्वागत है पाठशाला में... अवश्य ही वे भविष्य में नवगीत के सशक्त रचाकार साबित होंगे। पहली रचना ही बढ़िया है और रचना व कथ्य की दृष्टि से सफल है लगता है वे नवगीत को भी अलग से समझ रहे हैं। अगली कार्यशाला में आपके एक जबरदस्त गीत की प्रतीक्षा रहेगी।
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