बिना पन्हैंया तपी धूप में
कैसे चल पायें
चलो नीम के नीचे बैठें
थोड़ा गपयाएँ
बहुयें गईं मायके अपने
मिलने अम्मा से
जैसे जाते हैं परवाने
मिलने शम्मा से
निश्चित ही अम्मा बाबू का
मन महका होगा
दरवाजा खिड़की बिस्तर
आंगन महका होगा
दौड़ा होगा भाई
बहिन को भीतर ले जाएँ
गर्द गुबार धूल धक्कड़ से
घर सहमा होगा
अम्मा के कानों में
ढेरों मैल जमा होगा
सरसों वाला तेल गरम
बिटिया कर लायेगी
अम्मा के कानों में
कुछ बूंदें टपकायेगी
भौजी बोलेगी
आओ अब भीतर सुस्ताएँ
जहाँ कभी गूँजा करती थी
शिवजी की हर हर
भौजी के आने से कैसा
टूट गया वह घर
अब तो मन में दहक रहे
टेसू से अंगारे
केवल और केवल चर्चा में
हिस्से बटवारे
क्यों स्वच्छंद हुई जातीं
आशायें इच्छाएँ?
अब पलाश के फूल कहाँ
जाने पहचाने हैं
नई पीढ़ी के लिये
आजकल अंजाने से हैं
लिखा किताबों में जब तब
वह बच्चे पढ़ते हैं
अब पलाश को सपनों की
आंखों से गढ़ते हैं
लाकर ताजे फूल कभी
बच्चों को दिखलाएँ
--प्रभु दयाल
कैसे चल पायें
चलो नीम के नीचे बैठें
थोड़ा गपयाएँ
बहुयें गईं मायके अपने
मिलने अम्मा से
जैसे जाते हैं परवाने
मिलने शम्मा से
निश्चित ही अम्मा बाबू का
मन महका होगा
दरवाजा खिड़की बिस्तर
आंगन महका होगा
दौड़ा होगा भाई
बहिन को भीतर ले जाएँ
गर्द गुबार धूल धक्कड़ से
घर सहमा होगा
अम्मा के कानों में
ढेरों मैल जमा होगा
सरसों वाला तेल गरम
बिटिया कर लायेगी
अम्मा के कानों में
कुछ बूंदें टपकायेगी
भौजी बोलेगी
आओ अब भीतर सुस्ताएँ
जहाँ कभी गूँजा करती थी
शिवजी की हर हर
भौजी के आने से कैसा
टूट गया वह घर
अब तो मन में दहक रहे
टेसू से अंगारे
केवल और केवल चर्चा में
हिस्से बटवारे
क्यों स्वच्छंद हुई जातीं
आशायें इच्छाएँ?
अब पलाश के फूल कहाँ
जाने पहचाने हैं
नई पीढ़ी के लिये
आजकल अंजाने से हैं
लिखा किताबों में जब तब
वह बच्चे पढ़ते हैं
अब पलाश को सपनों की
आंखों से गढ़ते हैं
लाकर ताजे फूल कभी
बच्चों को दिखलाएँ
--प्रभु दयाल
इस नवगीत में बहुत बढ़िया प्रयोग किए गए हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा गीत। कौन हैं इसके गीतकार?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नवगीत है। रचनाकार को हार्दिक बधाई। रचनाकार का नाम भी दें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत है.
जवाब देंहटाएंकवि का नाम भी दिया हुआ है
'प्रभु दयाल'.
बधाई.
अब पलाश के फूल कहाँ
जवाब देंहटाएंजाने पहचाने हैं
नई पीढ़ी के लिये
आजकल अंजाने से हैं
लिखा किताबों में जब तब
वह बच्चे पढ़ते हैं
अब पलाश को सपनों की
आंखों से गढ़ते हैं
लाकर ताजे फूल कभी
बच्चों को दिखलाएँ
सुंदर नवगीत
सादर
रचना
अच्छा नवगीत है
जवाब देंहटाएं