२५. नए साल में
नए साल में
प्यार लिखा है
तुम भी लिखना
प्यार प्रकृति का शिल्प
काव्यमय ढाई आखर
प्यार सृष्टि पयार्य
सभी हम उसके चाकर
प्यार शब्द की
मयार्दा हित
बिना मोल, मीरा-सी-बिकना
प्यार समय का कल्प
मदिर-सा लोक व्याकरण
प्यार सहज संभाव्य
दृष्टि का मौन आचरण
प्यार अमल है ताल
कमल-सी,
उसमें दिखना।
अश्वघोष
देहरादून से
लाजवाब नवगीत है अश्वघोष जी का, उन्हें बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंभाई अश्वघोष ने इस नवगीत में प्यार को बड़े ही अनूठे रूप में परिभाषित किया है| नये वर्ष की यह शुभकामना, सच में, बड़ी ही समीचीन है| उनको शत-शत साधुवाद इस अत्यंत सार्थक श्रेष्ठ कविता के लिए!
जवाब देंहटाएंनए साल में
जवाब देंहटाएंप्यार लिखा है
तुम भी लिखना'
वाह!लाजवाब!