चरागों के दिल में उजाला जो होता
नहीं उसके तल में अंधेरा ये होता
बुझते नहीं, तेल बाती के दीये
हँसते यहाँ अपनी माटी के दीये
छोटी न होती, मेहनत की रोटी
बेईमान का बोलबाला न होता
आती नहीं ऐसी रातें शहर में
लगती नहीं तन की हाटें शहर में
मासूम सपने बिखरते न ऐसे
अपने पराये का पाला न होता
किसने लिखा है किस्मत का लेखा
दुनिया हुई है नजरों का धोखा
फ़ानूस इतने बनाए हैं, जिसने
उसे भी मयस्सर उजाला ये होता
शंभु शरण मंडल
धनबाद झारखंड
अच्छी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंvah kya bat kahi? Shayad yeh Chirag hamare Neta.........Khair ummeed hi to jeevan hai.
जवाब देंहटाएंShambhu ji ki ada nirali, bat kahne ka dhang anokha hai aur kis asani se aj ki paristhiti ka bakhan kar dala hai?
S S Singh
अच्छी रचना है
जवाब देंहटाएंBahut badhiya shambhu sharanji,
जवाब देंहटाएंmanviya samvedana ki bebak abhivyakti hai apka navgeet
aise hi likhate rahiye
manviya peeda ki bebak abhivykati karata hua ss mandalji ka navgeet beshak sarahniy hai .mai unki lekhni ke nikharate rahne ki kamana karata hun. team navgeet ki pathshala ko bhi sadhuvad navgeet ki bagiya ko sajane ke lie
जवाब देंहटाएंdhnyavad
Rajkisore shah
Patna
Bihar