13 जून 2010

कार्यशाला : ०९ : कमल

कार्यशाला- ०८ आशा के विपरीत बहुत सफल रही। आशा के विपरीत इसलिए कि इस बार का विषय नवगीत के लिए नया और मुश्किल था। प्रतिभागी नवगीतकारों को ढेर-सी बधाई।

नई कार्यशाला : ०९ का विषय "कमल" रखा गया है। हमारा राष्ट्रीयपुष्प "कमल" न केवल कोमलता और सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि राजनीति से लेकर साहित्य और संस्कृति तक इसकी गहरी पैठ है। यह एक ऐसा पौधा है जो भारत की अनेक सामाजिक गतिविधियों से घनिष्ठता के साथ जुड़ा हुआ है। धार्मिक चित्रों, मंदिरों की दीवारों, गुंबदों और स्तंभों में कमल के सुंदर अलंकरण मिलते हैं। स्थापत्य में भी इसका भरपूर उपयोग किया गया है। जहाँ उदयपुर में पद्मावती माता जल कमल मन्दिर नामक मंदिर को कमल के आकार में बनाया गया है वहीं दिल्ली में स्थित बहाई उपासना मंदिर को भी कमल का आकार दिया गया है। एक ओर योग में वर्णित मूलाधार इत्यादि शरीर के सात प्रमुख ऊर्जा केन्द्रों को कमल या पद्म कहा गया है तो दूसरी ओर साहित्य में पद्मिनी नायिका को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। एक पुराण को भी पद्मपुराण का नाम दिया गया है। स्त्री और पुरुष दोनों के नाम के लिए कमल को सहजता से स्वीकारा गया है। खाने के शौकीनों को भसीड़ों के कवाब इसकी जड़ों से ही मिलते हैं तो अनेक प्रकार की सुगंधियों और दवाओं को बनाने में भी इसका प्रयोग होता है और खीर में डाले जानेवाले मखाने इसके बीजों से बनाए जाते हैं।

उपरोक्त बातों के अतिरिक्त भी कमल के बारे में बहुत-सी बातें आप जानते होंगे। फिर देर किस बात की है? उठाइए कलम और शुरू हो जाइए। इस बार नवगीत स्वीकार करने की अंतिम तिथि २० जून २०१० निश्चित की गई है। अन्य नियम पूर्ववत् ही हैं। अन्य नियमों की जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें -

१- नवगीत रचते समय ध्यान में रखे जाने योग्य बिंदु
२- कुछ महत्त्वपूर्ण बातें

नई कार्यशाला की सफलता के लिए आप सबको सशक्त शुभकामनाएँ!

-- पूर्णिमा वर्मन

2 टिप्‍पणियां:

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