रंग अंतर में बरस रहा है
अंतर्मन रंग आया
श्वेत चुनरिया देखो कैसी
सतरंगी हो आयी,
गोरे गोरे गाल गाल पर
प्रेम की लाली छायी,
ये कैसा रंगरेज है जिसने
प्रेम का रंग लगाया
ढोल- धपाले गाजे - बाजे
सब ही तो बजते हैं
तुम बिन मीते!कब जाकर
ये अंतर्मन सजते हैं
हर पल बरसे नयनों में ये
कैसा रंग भराया
कितने रंग में महकी माटी
कितने सुमन खिलाये,
प्रेम रंग एक ऐसा जिसमें
हर एक रंग मिलाये
देख रंगों का रूप अनोखा
मन मेरा भर आया
--गीता पंडित
रंग अंतर में बरस रहा है
जवाब देंहटाएंकैसा रंग लगाया ....
वाह... वाह... उत्तम अभिव्यक्ति. बधाई.
बहुत सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंरंग अंतर में बरस रहा है
जवाब देंहटाएंअंतर्मन रंग आया |
श्वेत चुनरिया देखो कैसी
सतरंगी हो आयी,
गोरे गोरे गाल गाल पर
प्रेम की लाली छायी,
ये कैसा रंगरेज है जिसने
प्रेम का रंग लगाया |
ढोल- ढ्पाले गाजे - बाजे
सब ही तो बजते हैं,
तुम बिन मीते! कब जाकर
ये अंतर्मन सजते हैं ,
हर पल बरसे नयनों में ये
कैसा रंग जगाया |
कितने रंग में महकी माटी
कितने सुमन खिलाये,
प्रेम रंग एक ऐसा जिसमें
हर रंग मिल कर आये,
देख रंगों का रूप अनोखा
सुर मेरा सज आया ||
गीता पंडित
ऊपर पंक्तियाँ आपस में मिल गयी हैं...
पूर्णिमा दी ! इसे इस तरह कर दें अगर हो सके तो...
आभार....
गीता जी की कलम से निकला एक और शानदार नवगीत, बहुत बहुत बधाई गीता जी को।
जवाब देंहटाएंढोल- ढ्पाले गाजे - बाजे
जवाब देंहटाएंसब ही तो बजते हैं,
तुम बिन मीते! कब जाकर
ये अंतर्मन सजते हैं ,
हर पल बरसे नयनों में ये
कैसा रंग जगाया |
कितने रंग में महकी माटी
कितने सुमन खिलाये,
प्रेम रंग एक ऐसा जिसमें
हर रंग मिल कर आये,
सुंदर गीत अच्छे भाव
बधाई
रचना
गीता जी को बधाई,सुन्दर गीत के लिए।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी.
जवाब देंहटाएंशन्नो जी.
और धर्मेन्द्र जी...
नवगीत पसंद करने के लियें आपकी आभारी हूँ...
शुभ कामनाएँ
गीता
बंदबंद में मकरंद पिरोए इस गीत के लिए गीताजी आपको जितनी भी बधाईयां दूं कम पड़ती हैं । यह सिलसिला आगे भी जारी रहे हमारी यही चाहते हैं।
जवाब देंहटाएंकितने रँग में महकी माटी........ वाह क्या शानदार अभिव्यक्ति है, बहुत खूब| बधाई गीता जी|
जवाब देंहटाएंरचना जी,
जवाब देंहटाएंभारतेंदु जी..
आपका आभार ..
शुभ-कामनाएँ
गीता .
होली के अवसर पर सभी को
जवाब देंहटाएंहार्दिक मंगल कामनाएँ...
गीता