9 अप्रैल 2011

८. बिलकुल ताज़ा समाचार है

सुबह सुबह का
बिलकुल ताज़ा समाचार है


चढ़ा शहर को
जाति धर्म वाला बुखार है
इसके उसके हाथों का
झुनझुना रहे हैं
लोग हवा में
मंदिर मस्जिद बना रहे हैं
एक लड़ाई अपने से ही
आर पार है
सुबह सुबह का
बिलकुल ताज़ा समाचार है


रोज़ी रोटी में भी
बस अगड़ा पिछड़ा है
उंच नींच का या
आरक्षण का झगडा है
इसकी टोपी
उसका आँचल तार तार है
सुबह सुबह का
बिलकुल ताज़ा समाचार है


जाति धर्म दोनों की
जननी है महंगाई
इधर कुआं है
उधर कुएं से गहरी खाई
आँखों आँखों पर
सपनों का बहुत भार है
सुबह सुबह का
बिलकुल ताज़ा समाचार है


अखबारों में
ख़ास आदमी का चेहरा है
आम आदमी
बस अँधा गूंगा बहरा है
सुख वो कैदी है
जो जन्मों से फरार है
सुबह सुबह का
बिलकुल ताज़ा समाचार है


दृश्यों को कर दिया
आँसुओं ने ही खारा
अफ़वाहों की आग
झुलसता जंगल सारा
सिर्फ धुआँ ही पीती
पेड़ों की कतार है
सुबह सुबह का
बिलकुल ताज़ा समाचार है

-यश मालवीय
(इलाहाबाद)

14 टिप्‍पणियां:

  1. सुबह के तजा समाचार ...
    अक्सर हेड लाईन्स ऐसी खबरे ही सुनती हैं , मगर आज लोकतंत्र की जीत की खबर अच्छी लगी !

    जवाब देंहटाएं
  2. यश जी,
    आपकी लेखनी से एक और सुन्दर नवगीत पढ़ने को मिला। निम्न बन्द विशेष रूप से अच्छा लगा।
    अखबारों में
    ख़ास आदमी का चेहरा है
    आम आदमी
    बस अँधा गूंगा बहरा है
    सुख वो कैदी है
    जो जन्मों से फरार है

    आभार एवं ब बधाई!
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर नवगीत, इस बार पाठशाला में एक से एक शानदार नवगीत आ रहे हैं। यश मलवीय जी को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. भाई यश जी नवगीत की पाठशाला में आपका गीत पढ़ना बहुत सुखद लग रहा है |इस सुंदर गीत के लिए बधाई |पूर्णिमा जी आखर कलश में आपके गीत आज पढे इसके लिए आपको भी बधाई |आपकी लोकप्रियता विश्वव्यापी हो |शुभकामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
  5. आज यश जी का नाम नवगीतकारों में अग्रणी हैं
    नवगीत की पाठशाला में यश जी का आना शुभ संकेत है

    नवगीत की क्या बात कहूँ :)

    हमेशा की तरह् बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  6. आपको भी पहली बार पढ़ा है यहाँ पर नवीनता की छटा बिखेरते हुए...
    बहुत बहुत बधाई...मालवीय जी....



    इस बार नवगीत का उत्सव अच्छा लग रहा है....
    एक से एक सुंदर...
    बधाई पूर्णिमा दी...और सभी रचनाकारों और पाठकों को...भी....

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर नवगीत है आपका. आपको तथा पूर्णिमा जी को साधुवाद .

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय यश मालवीय जी के नवगीतों को पढ़ना सभी के लिए एक सुखद अनुभव रहता है| प्रस्तुत नवगीत में भी आपने जन साधारण से जुड़े तमाम विषयों पर अपनी बेबाक लेखनी का सदुपयोग किया है| बहुत बहुत बधाई|

    जवाब देंहटाएं
  9. दृश्यों को कर दिया
    आँसुओं ने ही खारा
    अफ़वाहों की आग
    झुलसता जंगल सारा
    सिर्फ धुआँ ही पीती
    पेड़ों की कतार है
    सुबह सुबह का
    बिलकुल ताज़ा समाचार है
    sunder ati sunder
    saader
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  10. अत्यंत सुंदर..! विचारों का इतना सटीक प्रस्तुतिकरण अत्यंत मनोरम है..!

    जवाब देंहटाएं
  11. इस इलेक्ट्रॉनिक गोष्ठी किंवा नवगीत पाठशाला में यश जी का आगमन सुखद रहा । इतने लोगों को एक साथ लाने के लिए पूर्णिमा जी वाकई बधाई की पात्र हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  12. यश जी आपका हार्दिक अभिनंदन, कुमार रवीन्द्र जी ने पधार कर इस पाठशाला में चार चाँद लगाए थे अब आप भी आ गए हैं, भारतेंदु मिश्र जी भी हैं हमारी पाठशाला विश्वविद्यालय बनने की ओर अग्रसर हो रही है। बहुत बहुत धन्यवाद रचना भेजने के लिये

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है। कृपया देवनागरी लिपि का ही प्रयोग करें।