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अद्भुत उपवन के
अब बर्बादी
करे मुनादी
संसाधन सीमित
सड़ जाने दो
किंतु करेगा
बंदर ही वितरित
नियम अनूठे हैं
मानव-वन के
प्रेम-रोग अब
लाइलाज
किंचित भी नहीं रहा
नई दवा ने
आगे बढ़कर
सबका दर्द सहा
पल-पल बदल रहे रंग
तन मन के
नौकर धन की
निज इच्छा से
अब है बुद्धि बनी
कर्म राम के
लेकिन लंका
देखो हुई धनी
बदल रहे हैं
स्वप्न लड़कपन के
-धर्मेन्द्र कुमार सिंह
(बरमाना, बिलासपुर)
सुंदर गीत सृजन के लिए धर्मेन्द्र जी बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंधर्मेन्द्र जी आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ . आपका गीत मन को छू गया. मेरी बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंधर्मेन्द्र भाई
जवाब देंहटाएंसांकेतिक चुटीले व्यंग्य-बिम्बों में सँजोया आपका गीत अच्छा लगा | आपकी यह कहन बनी रहे, नये आयाम प्राप्त करे, यही कामना है | मेरा हार्दिक अभिनन्दन स्वीकारें इस श्रेष्ठ नवगीत हेतु |
स्नेह-नमन !
आपका
कुमार रवीन्द्र
नवगीत में अनूठा छंद प्रयोग| भाई धर्मेन्द्र आप हर बार की भांति इस बार भी अपना झण्डा गाढ़ने में सफल रहे हैं|
जवाब देंहटाएंकर्म राम के
लेकिन लंका
देखो हुई धनी
आह क्या कटु सत्य का सफल शब्दांकन
बदल रहे हैं
स्वप्न लड़कपन के
देश और समाज के प्रति आप की चिंता सराहनीय है धर्मेन्द्र भाई
धर्मेन्द्र भैया सुन्दर गीत के लिए बधाई|
जवाब देंहटाएंकर्म राम के
लेकिन लंका
देखो हुई धनी
ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं|
समाचार हैं
जवाब देंहटाएंअद्भुत उपवन के
अब बर्बादी
करे मुनादी
संसाधन सीमित
सड़ जाने दो
किंतु करेगा
बंदर ही वितरित
वाह धर्मेन्द्र जी वाह क्या बात हैं
मैं ग़ज़ल की दुनिया में ही उलझा रहा
नवगीत में भी इतना आकर्षण है अब जाना
बहुत बहुत बधाई
नौकर धन की
जवाब देंहटाएंनिज इच्छा से
अब है बुद्धि बनी
कर्म राम के
लेकिन लंका
देखो हुई धनी
sunder geet
badhai
saader
rachana
धर्मेन्द्र जी! आपको कई बार पढ़ा है
जवाब देंहटाएंहर बार आपको पढ़ना अच्छा लगा...
इस सुंदर नवगीत के लियें...
आपको बधाई....
धर्मेन्द्र जी आपकी तो मेहनत सफल हो गई, आदरणीय रवीन्द्र जी का आशीर्वाद मिल गया। पाठशाला में आपकी उपस्थिति बनी रहे और इसमें ऐसे ही सुंदर नवगीत आते रहें यही मंगल कामना है। एक अच्छे नवगीत के लिये बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंवाकई पूर्णिमा जी, आदरणीय रवीन्द्र जी का आशीर्वाद मिल गया नवगीत का लिखना सफल हो गया। सभी मित्रों को उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंपूर्णिमा जी, समाचार हैं अद्भुत "उपवन" की जगह "जीवन" कर दीजिए तो आभारी रहूँगा। सादर
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