किरण खिलौने हाथ
कण्ठ में नए वर्ष का गीत
मरघट के ठूंठों में फूटे
नए नए कोंपल
ध्वंस भूमि की छाती पर
अँकुराये फिर पीपल
जीवन की सांसों से होने लगी
मृत्यु भयभीत
समय वैद्य के उपचारों से
स्वस्थ हो रहे तन
आशाओं की शाखाओं पर
आये नए सुमन
जीवन गति अबाध है बढ़ना ही
मनुष्य की जीत
-पंडित गिरिमोहन गुरु
होशंगाबाद से
गिरिमोहन जी हर नवगीत अच्छा होता है, ये भी बहुत सुंदर नवगीत है। उन्हें बधाई
जवाब देंहटाएंपं.गिरिमोहन गुरु जी का यह गीत पारम्परिक कहन-भंगिमा से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया है,फिर भी इसकी कई पंक्तियाँ नवगीत की दहलीज़ को छूती हैं, मसलन ये-
जवाब देंहटाएंमरघट के ठूंठों में फूटे
नए नए कोंपल
ध्वंस भूमि की छाती पर
अँकुराये फिर पीपल
साधुवाद है भाई गिरिमोहन जी को एक अत्यंत श्रेष्ठ गीत के लिए|
बहुत अच्छा और प्रभावशाली नवगीत है गिरिमोहन गुरु का। वधाई आपको।
जवाब देंहटाएंमरघट के ठूंठों में फूटे
जवाब देंहटाएंनए नए कोंपल
ध्वंस भूमि की छाती पर
अँकुराये फिर पीपल
जीवन की सांसों से होने लगी
मृत्यु भयभीत बहुत अच्छी अभिव्यक्ति प्रभुदयाल