तुमसे मिलके
तुमसे मिलके
खुश रहता हूँ
तुमसे मिलके
उजले लगते
धूल धूसरित मैले से दिन
तुमसे मिलके
जग से मिलते
बंजारे मेरे सब पल-छिन
तुमसे मिलके
अनायास ही
हट जाते कुंठा के छिलके
तुमसे मिलके
वात्सल्य का
एक अजब झरना सा झरता
तुमसे मिलके
मन आँगन में
तुलसी जैसा बोध उभरता
तुमसे मिलके
--डॉ. अश्वघोष
"मन आँगन में
जवाब देंहटाएंतुलसी जैसा बोध उभरता"
अति सुन्दर भाव इन पंक्तियों में झलकता सा !
सादर . . . शार्दुला
सुन्दर गीत है\बधाई।
जवाब देंहटाएंsunder geet hai/congratulations
जवाब देंहटाएंदुर्गम पथ पर
जवाब देंहटाएंदिखने लगे चिह्न मंज़िल के
तुमसे मिल के
बहुत सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंमन अंगना में तुलसी जैसा
बदली कोई बरसी जैसा
धन्यवाद
शशि
जी,ढेर सी बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना। वाह।
kamal ashique,
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vehad nape tule shabdo mai behtareen navgeet hai
जवाब देंहटाएंवात्सल्य का
एक अजब झरना सा झरता
तुमसे मिलके
मन आँगन में
तुलसी जैसा बोध उभरता
तुमसे मिलके
lekin pyaar kaa rang naa badlaa vishay se door hai.