प्यार का रंग नहीं बदला
बदलते लोग रहे
वो चाहत वो बातें
वो सावन की रातें
पल पल यूँ ही काटें
कैसे जिया को बांटें
प्यार का रंग नहीं बदला
बदलते लोग रहे
ठंडी हवा का चलना
जैसे किसी का छूना
देखूँ उसे तो कैसे
रोकूँ दिल का मचलना
प्यार का रंग नहीं बदला
बदलते लोग रहे
सुन्दर गीत.बहुत-बहुत बधाई कमल भाई. नेट पर सतत् सक्रियता के लिये, गीत भेजने के लिये, धीरे-धीरे यूं ही आपका गीतकार एक अच्छे नवगीतकार में रूपांतरित हो ऐसी शुभकामनाओं के साथ........संजीव गौतम
जवाब देंहटाएंकमल जी ने भी अच्छा प्रयास किया है नवगीत लिखने का ।इस छोटे से गीत का मुखड़ा बड़ा आकर्षक बन गया है। दोनों अन्तरों के बाद एक एक पंक्ति और जोड़ें तो अच्छा होगा । जैसे
जवाब देंहटाएं१॰॰ वो चाहत वो बातें
वो सावन की रातें
पल पल यूँ ही काटें.
कैसे जिया को बांटें.
चाहत का ढंग नहीं बदला
बदलते लोग रहे।
२॰॰ठंडी हवा का चलना
जैसे किसी का छूना
देखूँ उसे तो कैसे
रोकूँ दिल का मचलना
मौसम का संग नहीं बदला
बदलते लोग रहे।
कमल जी ने पहली पंक्ति को लेकर नया प्रयोग किया है उसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं। शब्दों में रवानगी है। छोटा सुंदर गीत है। शास्त्री जी के सुझाव अच्छे हैं। विश्वास है अगला गीत बहुत अच्छा होगा।
जवाब देंहटाएंकमल जी ने औरो से थोडा हटके लिखा है थोडा बातचीत की शैली में लेकिन अच्छा लिखा है. बधाई
जवाब देंहटाएंकमल जी उपमानों में थौड़ी नवीनता लाने की कोशिश करें फिर देखें कितना अच्छा नवगीत लिखते हैं आप।
जवाब देंहटाएंबहुत भाया कमल जी आपका ये नायाब गीत
जवाब देंहटाएंखास कर आखिरी अंतरा और उसका अंदाज़ "देखूं उसे तो कैसे,रोकूं दिल का मचलना"
बहुत सुंदर