प्यार का रंग न बदला इज़हार का ढंग न बदला
आँखों में वही खुशबू होठों पे वही थिरकन
सांसों में वही गर्मी सीने में वही धड़कन
क्षण-क्षण वही हैं लक्षण कुछ भी तो नहीं बदला
प्यार का रंग न बदला इकरार का ढंग न बदला
दबा के दाँतों ऊँगली ला के गालों पे लाली
अब भी जताती है प्यार प्यार जताने वाली
प्यार का प्यारा इशारा अब तक नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला इंतज़ार का रंग न बदला
दरवज्जे पे गाड़े अँखियाँ रस्ता तकती है गोरी
अब भी रातों को जागकर तारें गिनती है गोरी
पिया मिलन का सपना आज भी नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला तकरार का रंग न बदला
अब भी ताने है कसती अब भी कुट्टी है करती
नाक पे रख के गुस्सा पगली अब भी है लड़ती
प्यार का प्यारा झगड़ा अब भी नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला संसार का ढंग न बदला
अब भी जलती है दुनिया अब भी पिटते हैं मजनू
प्यार मिटाने वाले अब भी मिलते हैं हर सू
प्यार प्यार ही बाँटे प्यार न लेता बदला
ज़माना जो चाहे कर ले प्यार न जाए बदला
गीत क्या?
जवाब देंहटाएंनवगीत क्या है.?
यह समझ लें,
फिर लिखें.
गीत संसद में
सभी से,
बेहतर ही
हम दिखें.
शब्द कम,
हों भाव ज्यादा.
न्यून सज्जा,
अधिक सादा.
शिल्प-बिम्ब
प्रतीक नव हों,
कलश कम हों,
नींव ज्यादा.
धरा से
ऊगे हुए
नव अंकुरों
जैसे दिखें...
आदरणीय राहुल जी,
जवाब देंहटाएं"प्यार प्यार ही बाँटे प्यार न लेता बदला"
ये अच्छा लगा!
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"अब भी ताने है कसती अब भी कुट्टी है करती
नाक पे रख के गुस्सा पगली अब भी है लड़ती"
ये बिम्ब भी प्यारा सा लगा :)
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क्या इन छंदों की अंतिम पन्तियाँ ग़लती से अदल-बदल गयीं हैं? कृपया देखिएगा.
"दरवज्जे पे गाड़े ... " के साथ "प्यार का रंग न बदला संसार का ढंग न बदला" अधिक जमेगा शायद.
उसी प्रकार "अब भी ताने है कसती ...." वाले छंद के अंत में "प्यार का रंग न बदला तकरार का रंग न बदला" अधिक प्रभावशाली लगेगा.
सादर शार्दुला
वाह, आपने तो एक दम मुकम्मल छांदिक कविता ही लिख दी.
जवाब देंहटाएं- विजय
मैंने रचना कुछ इस तरह लिखी थी। ई-मेल या किसी और तकनीकि कारण की वजह से पंक्तियां घुल-मिल गई हैं।
जवाब देंहटाएंप्यार का रंग न बदला
इज़हार का ढंग न बदला
आँखों में वही खुशबू
होठों पे वही थिरकन
सांसों में वही गर्मी
सीने में वही धड़कन
क्षण-क्षण वही हैं लक्षण
कुछ भी तो नहीं बदला
प्यार का रंग न बदला
इकरार का ढंग न बदला
दबा के दाँतों ऊँगली
ला के गालों पे लाली
अब भी जताती है प्यार
प्यार जताने वाली
प्यार का प्यारा इशारा
अब तक नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला
इंतज़ार का ढंग न बदला
दरवज्जे पे गाड़े अँखियाँ
रस्ता तकती है गोरी
अब भी रातों को जागकर
तारें गिनती है गोरी
पिया मिलन का सपना
आज भी नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला
तकरार का ढंग न बदला
अब भी ताने है कसती
अब भी कुट्टी है करती
नाक पे रख के गुस्सा
पगली अब भी है लड़ती
प्यार का प्यारा झगड़ा
अब भी नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला
संसार का ढंग न बदला
अब भी जलती है दुनिया
अब भी पिटते हैं मजनू
प्यार मिटाने वाले
अब भी मिलते हैं हर सू
प्यार प्यार ही बाँटे
प्यार न लेता बदला
ज़माना जो चाहे कर ले
प्यार न जाए बदला
सद्भाव सहित
राहुल
http://mere--words.blogspot.com
राहुल जी के गीत में बहुत कुछ नया है .। मौलिकता भी है लेकिन लय टूट रही है थोड़ा सा शब्दों को इधर उधर करके देखें तो स्वय अन्तर समझ में आयेगा। पहले अन्तरे का चलन बाद के अन्तरों से थोड़ा सा भिन्न है उसे इस तरह बदला जा सकता है॰॰
जवाब देंहटाएं१ वही आँखों में खुशबू
वही होठों पे थिरकन
वही सांसों में गर्मी
वही सीने में धड़कन
२ अब भी जताती है प्यार
प्यार जताने वाली के स्थान पर करें
प्यार अब भी जताती
प्यार जतलाने वाली
३ दरवज्जे पे गाड़े अँखियाँ " द्वार पर गाड़े अँखियाँ "
४ रस्ता तकती है गोरी " राह तकती है गोरी "
५ पिया मिलन का सपना " स्वप्न पिय के मिलन का "
६ ज़माना जो चाहे कर ले "जमाना कुछ भी करले"
राहुल जी का प्रयास और अनाम जी का नव गीत दोनोँ पसँद आये
जवाब देंहटाएं- लावण्या
आचार्य संजीव जी की टिपण्णी बहुत सटीक है. सभी गौर करें. बहुत सही बात कही है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी,
जवाब देंहटाएंक्षमा कीजियेगा, टिप्पणी पे टिपण्णी कर रही हूँ , पर ये इतना सुन्दर लगा कि सराहे बिना राह से गुज़रा ना गया :
"कलश कम हों,
नींव ज्यादा."
अति उत्तम! कथ्य भी औत कथन की सुघड़ता भी !
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राहुल जी आपकी प्रति देखी कविता की, तब समझ आया कि आपकी पंक्तियाँ बिलकुल सही स्थान पर थीं.
सादर शार्दुला
नवगीत की पाठशाला में कुछ सीखने का प्रयास कर रही हूँ, लेकिन विषय बदल ही नहीं रहा है। दूसरा विषय कब देंगे जिससे हम भी कुछ लिखने का प्रयास कर सके। क्योंकि इस विषय की अन्तिम दिनांक तो निकल चुकी है।
जवाब देंहटाएंराहुल जी का गीत मज़ेदार है। शायद नवगीत के कुछ तत्त्व होंगे ज़रूर पर यह फिल्मी गीत ज्यादा है। इसकी संरचना...इसकी भाषा सभी कुछ... शायद यह प्रेम गीत है पर हास्य-व्यंग्य के लिए भी काफ़ी उपयुक्त है।
जवाब देंहटाएंनयी कार्यशाला की घोषणा 2-3 दिन में कर देंगे।
तनिक हट कर लिखी गयी...
जवाब देंहटाएंपूर्णिमा जी से सहमत होते हुये