द्वार पर धरा
दीपक
भोर तलक जलने दो
सूरज ने कैद किया
विद्रोही चाँद
लुकछिप कर भागा है
शुक्र बाड़ फाँद
तारों ने टाँक दिये
चमकीले बूटे
क्षितिज के पार नहीं
ज्योति पिंड छूटे
जुगनू का संगी बन
अंधियारा हरने दो
दीपक को जलने दो
यौवन में रंग भरे
मंगल की चाल
मदमाता केतु अब
देता है ताल
राहू की नजर लगी
चाँद हुआ दुबला
कैसे बच पायेगा
लक्ष्य बना अगला
धरती के ओर छोर
रोशनी बिखरने दो
दीपक को जलने दो
-सुरेश पण्डा
(रायपुर)
दीपक
भोर तलक जलने दो
सूरज ने कैद किया
विद्रोही चाँद
लुकछिप कर भागा है
शुक्र बाड़ फाँद
तारों ने टाँक दिये
चमकीले बूटे
क्षितिज के पार नहीं
ज्योति पिंड छूटे
जुगनू का संगी बन
अंधियारा हरने दो
दीपक को जलने दो
यौवन में रंग भरे
मंगल की चाल
मदमाता केतु अब
देता है ताल
राहू की नजर लगी
चाँद हुआ दुबला
कैसे बच पायेगा
लक्ष्य बना अगला
धरती के ओर छोर
रोशनी बिखरने दो
दीपक को जलने दो
-सुरेश पण्डा
(रायपुर)
सुंदर नवगीत के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंसूरज ने कैद किया
जवाब देंहटाएंविद्रोही चाँद
लुकछिप कर भागा है
शुक्र बाड़ फाँद
तारों ने टाँक दिये
चमकीले बूटे
क्षितिज के पार नहीं
ज्योति पिंड छूटे
ज्योतिष के मिथकों का सशक्त प्रयोग इस गीत का वैशिष्ट्य है. छत्तीसगढ़ी के कुछ आंचलिक शब्दों से गीत अधिक सशक्त होता.
achcha geet hai
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