अमानिशा की दुनिया उजड़ी
तम झाँके बगलें
ज्ञान के जगमग दीप जलें
गाँव गैल वन-उपवन पनघट
दीप छटा बिखरे
नगर चौक घर हट सरित-तट
मंगल रूप धरे
दिव्य सभा अनुपम ज्योतिर्मय
गगन वितान तले
संसृति के श्रीमुख पर हरियल
घूंघट पट लहरे
दीन जनों की पर्णकुटी में
'देवि श्री' ठहरें
सदियों से सूने नयनों में
सुखप्रद सपन पलें
जातिभेद और रंग द्वेष का
तिल तिल तिमिर जरे
समता विश्व बंधुता करुणा
आँगन प्रति उतरे
झिलमिल हों अंतर्मन हिलमिल
जनगण संग चलें
--रामशंकर वर्मा
तम झाँके बगलें
ज्ञान के जगमग दीप जलें
गाँव गैल वन-उपवन पनघट
दीप छटा बिखरे
नगर चौक घर हट सरित-तट
मंगल रूप धरे
दिव्य सभा अनुपम ज्योतिर्मय
गगन वितान तले
संसृति के श्रीमुख पर हरियल
घूंघट पट लहरे
दीन जनों की पर्णकुटी में
'देवि श्री' ठहरें
सदियों से सूने नयनों में
सुखप्रद सपन पलें
जातिभेद और रंग द्वेष का
तिल तिल तिमिर जरे
समता विश्व बंधुता करुणा
आँगन प्रति उतरे
झिलमिल हों अंतर्मन हिलमिल
जनगण संग चलें
--रामशंकर वर्मा
जातिभेद और रंग द्वेष का
जवाब देंहटाएंतिल तिल तिमिर जरे
समता विश्व बंधुता करुणा
आँगन प्रति उतरे
झिलमिल हों अंतर्मन हिलमिल
जनगण संग चलें
सुन्दर नवगीत रामशंकर जी। बधाई
८.
जवाब देंहटाएंअमानिशा की दुनिया उजड़ी
तम झाँके बगलें
ज्ञान के जगमग दीप जलें
गाँव गैल वन-उपवन पनघट
दीप छटा बिखरे
नगर चौक घर हट सरित-तट
मंगल रूप धरे
दिव्य सभा अनुपम ज्योतिर्मय
गगन वितान तले
बेमिसाल शब्द-भावों का संयोजन लिए श्रेष्ठ नवगीत। बधाई राम शंकर जी।
सुन्दर सन्देशपूर्ण गीत के लिए रामशंकर जी को बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंजातिभेद और रंग द्वेष का
जवाब देंहटाएंतिल तिल तिमिर जरे
समता विश्व बंधुता करुणा
आँगन प्रति उतरे
झिलमिल हों अंतर्मन हिलमिल
जनगण संग चलें
आपकी यह अनुभूति जनजन की अनुभूति बने हमारी यही कामना है। इस प्रस्तुति के लिए बधाई।