भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
जब बेटी घर में आरती गाती है
हरी चूड़ियों के
गीत वहाँ बजते हैं
सावन आते ही
पेड़ों पर झूले पड़ते हैं
सजनी जो
'ऐ जी' कह कर बुलाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
तिरंगे से उगे सूरज
जग सबेरा हो
यादों के पंछी का
गली बसेरा हो
"जन गण" की धुन
रूह सहलाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
पावन धरती दे
नदियों को सहारा
रंगबिरंगी बोली से
रंगा देश सारा
स्नेह घूप
मन- आँगन महकाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
रचना श्रीवास्तव
यू.एस.ए.
यहाँ भी आती है
जब बेटी घर में आरती गाती है
हरी चूड़ियों के
गीत वहाँ बजते हैं
सावन आते ही
पेड़ों पर झूले पड़ते हैं
सजनी जो
'ऐ जी' कह कर बुलाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
तिरंगे से उगे सूरज
जग सबेरा हो
यादों के पंछी का
गली बसेरा हो
"जन गण" की धुन
रूह सहलाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
पावन धरती दे
नदियों को सहारा
रंगबिरंगी बोली से
रंगा देश सारा
स्नेह घूप
मन- आँगन महकाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
रचना श्रीवास्तव
यू.एस.ए.
भारत की खुशबू पूरे विश्व में भ्रमण करती है। हमें गर्व है भारतीय होने पर। सुंदर भावनाओं से ओत-प्रोत सुंदर गीत के लिए आपको हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंअपनी मिट्टी से दूर रहने की कसक है इस गीत में.... सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत, देश में चाँद निकलता है तो चांदनी कोने कोने पहुँच जाती है...
जवाब देंहटाएंअच्छा गीत है। रचना जी को बधाई
जवाब देंहटाएंरचना जी बहुत अच्छा गीत है आपका, इसे नवगीत के बहुत निकट का गीत कहा जा सकता है
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